चश्म पर परतें भरम की चढ़ रही हैं देखिये
देखिये, दर्पण से चिड़िया लड़ रही है देखिये
आपने अपने लोहू से जो लिखा पैगम्बरो !
आपकी औलाद ...उलटा पढ़ रही है देखिये
याद है कि आपने अमृत दिया था, याद है
पर हमारी लाश ....नीली पड़ रही है देखिये
एक दुनिया एक दुनिया को बसाने के लिए
किस तरह से रातदिन उजड़ रही है देखिये
आज क़ौमी एकता के दिवस हैं मनने लगे
बात ये भी याद रखनी पड़ रही है देखिये
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
9 comments:
कम शब्दों में आपने बहुत ही सटीक बात कह डाली |
वाह!!
बहुत सुदर रचना !!
एक दुनिया एक दुनिया को बसाने के लिए
किस तरह से रात दिन उजड़ रही है
क्या सुन्दर अभिव्यक्ति ! साधू!!
जमा दिए हुजूर!
वाहवाही तो बहुत कॉमन हो गई है
सो
बाह बाह।
जीय रजा जीयSS|
वाह वाह !!!!!!!!! बहुत सुन्दर.
कम शब्द...सटीक बातें
क्या बात है! बढ़िया.
दीपक भारतदीप
बिल्कुल सच कहा!!
बढिया!
zabardast rachanaa hai ji||
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