जाम लाये कोई, मय पिलाये कोई
महफ़िले-दिल में हमको बुलाये कोई
शोर सड़कों पे है जानलेवा बहुत
अपनी आँखों में हमको सुलाये कोई
कितना मुश्किल है जीना हयात आजकल
तेज़ रफ्तार साँसें चलाये कोई
जिस्म गलने लगा, दम निकलने लगा
कोढ़ उसकी जफ़ा का मिटाये कोई
ज़ख्म हमने तो खाये हैं गुल से ऐ-दिल
लाख काँटों से दामन बचाये कोई
साथ छूटे नहीं 'अलबेला' अब कभी
हाथ से हाथ ऐसे मिलाये कोई
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
16 comments:
कितना मुश्किल है जीना हयात आजकल
तेज़ रफ्तार साँसें चलाये कोई
क्या खुबसुरत अंदाज़। वाह!!
खत्री जी वाह वाह ।। बहुत खूब रंग जमा दिया आपने । तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
सुंदर!
बहुत सुन्दर
बेहतरीन रचना
बहुत ही खूबसूरत रचना...
बहुत ख़ूब.
बहुत खुब.........
उम्दा रचना
बहुत ख़ूब.
साथ छूटे नहीं 'अलबेला' अब कभी
हाथ से हाथ ऐसे मिलाये कोई
bahut khoob likha hai bhai .Badhai!!
क्या बात है जनाब , बहुत सुंदर लगी आप की रचना.
धन्यवाद
कितना मुश्किल है जीना हयात आजकल
तेज़ रफ्तार साँसें चलाये कोई
बहुत बढ़िया है सर...
वाह्! बहुत खूब्!!!!!
ज़ख्म हमने तो खाये हैं गुल से ए-दिल
लाख कांटो से दामन बचाये कोई
वाह क्या अन्दाजे बया़ं है अलबेला जी...साधू
अति सुन्दर.
शोर सड़कों पे है जानलेवा बहुत
अपनी आँखों में हमको सुलाये कोई
bahut si sundar rachna
-Sheena
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