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Albela Khatri

बाप रे ! क्या ज़माना आ गया... कार्टून का भी कार्टून ?


जब धूप चढी तो पथिकों ने तरुवर को याद किया

जब बारिश बरसी , लोगों ने छत्री को याद किया

दिन भर की थकन मिटाने को

जी भर कहकहे लगाने को

जब शाम ढली तो महफ़िल ने खत्री को याद किया







इस नयनाभिराम कार्टून के चितेरे भाई सुरेश शर्मा जी का धन्यवाद


उन्होंने यह मुझे भेन्ट किया , मैं आप सब के लिए यहाँ रख रहा हूँ ताकि

आप इस पार्थिव चित्र के अन्तिम दर्शन का पुण्य प्राप्त कर लें ...हा हा हा


-अलबेला खत्री

6 comments:

दिगम्बर नासवा August 13, 2009 at 4:06 PM  

KYAA BAAT HAI ALBELAA JI..........AAP MAHFILON KI JAANHO.....

M VERMA August 13, 2009 at 4:10 PM  

वो तो ठीक है पर ये तो बता दीजिए दबा किसको रखा है?

shama August 13, 2009 at 4:54 PM  

फिलहाल तो ये कहने आयी हूँ ,कि , नुक्कड़ पे रचना तो मेरी है ..ये 'भाई साहब ' कहाँ से आ गए ?

हाँ ..cartoon और लिखी रचना बड़ी मज़ेदार है !

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

Mithilesh dubey August 13, 2009 at 7:26 PM  

जब धूप चढी तो पथिकों ने तरुवर को याद किया

जब बारिश बरसी , लोगों ने छत्री को याद किया

दिन भर की थकन मिटाने को

जी भर कहकहे लगाने को

जब शाम ढली तो महफ़िल ने खत्री को याद किया

वाह अलबेला जी छा गये।

राजीव तनेजा August 14, 2009 at 12:30 AM  

अलबेला जी तुस्सी ते छा गए...

साडे दिल नूँ भा गए

Manas Khatri December 12, 2010 at 8:02 PM  

"बच्चों का कार्टून से गहरा नाता है,
२१ वीं सदी में तो 'राम' और 'हनुमान' जी का भी कार्टून आता है."-मानस खत्री
वाह भाई अलबेला जी...शानदार...

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