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Albela Khatri

सालों-साल पन्द्रह अगस्त मेरे देश में.......

देशद्रोही बाज़ी जीतते हैं

और देशप्रेमी

बार-बार खा रहे शिक़स्त मेरे देश में


कुछ तो आतंक की

होली में नित जलते हैं

कुछ हैं अकाल, बाढ़-ग्रस्त मेरे देश में


रात घिर आई है गुलामी की,

वो हो रहा है

सूरज स्वतन्त्रता का अस्त मेरे देश में


उसपे सितम कि मैं

ख़ुशी से मना रहा हूं

सालों-साल पन्द्रह अगस्त मेरे देश में

6 comments:

अर्चना तिवारी August 14, 2009 at 2:47 PM  

फिर भी जय हो भारत देश ....सुंदर कविता...

विनोद कुमार पांडेय August 14, 2009 at 2:57 PM  

बस यही उम्मीद कर सकते है को धीरे धीरे हम इन सब समस्याओं से मुक्त होंगे,क्योंकि आज़ादी की माँग बहुत है..और हमारे पास बस आज़ादी नाम का एक शब्द भर है.

बढ़िया कविता...बधाई..

Vinay August 14, 2009 at 4:45 PM  

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद August 14, 2009 at 4:45 PM  

देशद्रोही बाज़ी जीतते हैं
और देशप्रेमी
बार-बार खा रहे शिक़स्त
जनता बेचारी है पस्त
और अलबेला गाए मस्त-मस्त:)

Mithilesh dubey August 14, 2009 at 5:53 PM  

देशद्रोही बाज़ी जीतते हैं
और देशप्रेमी
बार-बार खा रहे शिक़स्त
जनता बेचारी है पस्त

bahi wah kya bat hai.

Anjelanima_एंजेला एनिमा August 14, 2009 at 11:17 PM  

आजादी के 62 साल मुबारक...

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