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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

खोटे सिक्के जो चलते हैं चल जाने दो

शाम ढलने लगी है तो ढल जाने दो

जाम चलने लगे हैं तो चल जाने दो



मुझको क्या है पड़ी, मैं फ़िकर क्यों करूँ ?

लोग जलने लगे हैं तो जल जाने दो



वो सम्हालेगा मुझको, यकीं है मुझे

गर फ़िसलता हूँ मैं तो फ़िसल जाने दो



रुत है कैसी ठण्डक है कितनी वहाँ

खूं रगों का ज़रा सा उबल जाने दो



दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां

जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो



कौन समझा है 'अलबेला' सच को यहाँ

खोटे सिक्के जो चलते हैं चल जाने दो

6 comments:

hem pandey August 17, 2009 at 10:23 PM  

'दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां
जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो'
- मन जवान तो तन जवान.

अर्चना तिवारी August 17, 2009 at 10:31 PM  

'दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां
जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो'

वाह ! बहुत खूब...

राजीव तनेजा August 17, 2009 at 10:36 PM  

सच कहा अलबेला जी आपने...
सब मार्केटिंग का फेर है...

अच्छा माल यहाँ पड़ा-पड़ा सड़ जाता है और घटिया माल रातों-रात बिक जाता है....

Prem Farukhabadi August 17, 2009 at 10:47 PM  

वो सम्हालेगा मुझको, यकीं है मुझे
गर फ़िसलता हूँ मैं तो फ़िसल जाने दो

अलबेला जी ,
बहुत बेहतर अंदाज़ में कमाल का लिखते हैं.सराहनीय भाई बधाई!!

Sudhir (सुधीर) August 18, 2009 at 10:35 AM  

वो सम्हालेगा मुझको, यकीं है मुझे
गर फ़िसलता हूँ मैं तो फ़िसल जाने दो..

वाह क्या अंदाजे बयां हैं... अलबेला जी मजा आ गया । हम तो कहेंगे -

वो कहता हैं शेर तो किस्सा अपना लगता हैं
अलबेला गाता हैं एक और नज़्म तो गा लेने दो

Mithilesh dubey August 18, 2009 at 7:45 PM  

दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां

जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो

भाई वाह क्या बात है, लाजवाब सोच। बहुत बढिया। बधाई

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