शाम ढलने लगी है तो ढल जाने दो
जाम चलने लगे हैं तो चल जाने दो
मुझको क्या है पड़ी, मैं फ़िकर क्यों करूँ ?
लोग जलने लगे हैं तो जल जाने दो
वो सम्हालेगा मुझको, यकीं है मुझे
गर फ़िसलता हूँ मैं तो फ़िसल जाने दो
रुत है कैसी औ ठण्डक है कितनी वहाँ
खूं रगों का ज़रा सा उबल जाने दो
दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां
जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो
कौन समझा है 'अलबेला' सच को यहाँ
खोटे सिक्के जो चलते हैं चल जाने दो
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
6 comments:
'दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां
जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो'
- मन जवान तो तन जवान.
'दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां
जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो'
वाह ! बहुत खूब...
सच कहा अलबेला जी आपने...
सब मार्केटिंग का फेर है...
अच्छा माल यहाँ पड़ा-पड़ा सड़ जाता है और घटिया माल रातों-रात बिक जाता है....
वो सम्हालेगा मुझको, यकीं है मुझे
गर फ़िसलता हूँ मैं तो फ़िसल जाने दो
अलबेला जी ,
बहुत बेहतर अंदाज़ में कमाल का लिखते हैं.सराहनीय भाई बधाई!!
वो सम्हालेगा मुझको, यकीं है मुझे
गर फ़िसलता हूँ मैं तो फ़िसल जाने दो..
वाह क्या अंदाजे बयां हैं... अलबेला जी मजा आ गया । हम तो कहेंगे -
वो कहता हैं शेर तो किस्सा अपना लगता हैं
अलबेला गाता हैं एक और नज़्म तो गा लेने दो
दिल जवां था, जवां है, रहेगा जवां
जिस्म ढलने लगा है तो ढल जाने दो
भाई वाह क्या बात है, लाजवाब सोच। बहुत बढिया। बधाई
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