पवन जब गुनगुनाती है, तुम्हारी याद आती है
घटा घनघोर छाती है, तुम्हारी याद आती है
घटा घनघोर छाती है, तुम्हारी याद आती है
बर्क़ जब कड़कडाती हैं, तुम्हारी याद आती है
कि जब बरसात आती है, तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी याद आती है, तो लाखों दीप जलते हैं
मेरी चाहत के मधुबन में हज़ारों फूल खिलते हैं
इन आँखों में कई सपने, कई अरमां मचलते हैं
तुम्हारी याद आती है तो तन के तार हिलते हैं
4 comments:
बेहतरीन रचना!
बधाई !
याद आने के बहने क्या बयान करें .....ये तो बिना वजह भी आही जाती है ..बेहद अलाहिदा रचना है!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
khubsurat rachna ke liye badhai ho
यादों की बारात निकली है आज खत्री जी द्वारे
Post a Comment