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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

किसको भला बताऊं मैं किसको बुरा कहूं.?

फूलों में जैसे गन्ध है, मुरली में तान है

कण-कण में ठीक ऐसे ही तू विद्यमान है

किसको भला बताऊं मैं किसको बुरा कहूं

हम सब के शरीरों में जब तेरी ही जान है

5 comments:

निर्मला कपिला August 20, 2009 at 8:29 AM  

बहुत सुन्दर किसी को भी बुरा मत कहिये सब अच्छे हैं शुभकामनायें

shama August 20, 2009 at 10:48 AM  

Waqayi !
Sanjeeda khayalat..aur kitne sahi !

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://shama-baagwaanee.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

रज़िया "राज़" August 20, 2009 at 12:23 PM  

अदभुत अलबेला जी।


जब भी जिधर भी देखुं वहीं तेरी शान है।
तेरा वज़ुद है तो धरा-आसमान है।
तुज़को समज़ने हम चले क़ुदरत के साथ भी।
हाथों में हमने ले लिया गीता-क़ुरान है।

Chandan Kumar Jha August 20, 2009 at 4:02 PM  

गजब की रचना. बहुत अच्छा लगा. आभार.

राजीव तनेजा August 20, 2009 at 10:03 PM  

सत्य वचन

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