हे भगवान !
हे जगदीश्वर !
हे त्रिलोकी के प्राइम मिनिस्टर !
ये कैसा संसार है ?
जहाँ देखो...
sex का बाज़ार है
फ़िल्मों वाले अश्लील दैहिक खेल बेच रहे हैं
टी.वी. वाले व्यभिचारिक तालमेल बेच रहे हैं
अखबार वालों को
कुछ न मिला तो
विज्ञापन की आड़ में सांडे का तेल बेच रहे हैं
दाता !
विधाता !
ये तुमने.... कैसी रचना की रचना की है रचनाकार !
जिसकी संरचना में है 84 लाख योनियों की भरमार !
हम तो थक गए यार
हम तो टूट गए यार
इन योनियों को पार करते-करते
बार-बार जन्मते, बार-बार मरते
अब ये मानवी योनि मिली है
तो मन की कलियाँ खिली हैं
लेकिन दोबारा किसी योनि में न आना पड़े
इसका क्या इन्तेज़ाम है ?
ये बात मैं तब तक नहीं पूछूंगा जब तक कि
पहलू में ललना व हाथों में जाम है
लेकिन हे गोवर्धन गिरधारी !
नटवर नागर ! कृष्ण मुरारी !
मन करता है
एक सवाल करूँ तुझसे
जानूं तुझसे
कि आख़िर क्या लाचारी थी जो ये रचना ऐसी रचाई ?
ये रचना तुमने...क्या सोच कर इतनी sexy बनाई ?
जवाब तुम नहीं दोगे, मैं भलीभान्ति जानता हूँ
लेकिन ये अश्लील रचना
केवल वयस्कों के लिए है, मैं तो ऐसा मानता हूँ
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
Albela ji
Khuda bhi kabhi khud se sawaal karta hai,
kabhi apni hi banayi aadami naam ki is rachna pe malaal karta hai.
Sochta hai, kaisa hai yeh moorkh aadami,
karta hai khud sare galat kaam,
phir mujhse hi sawaal karta hai...
-Sheena
शीना जी के विचार से मै भी सहमत हूँ भाई अलबेला जी........सुन्दर रचना
यह क्या रचना रचाई?:)
सुन्दर रचना |
मज़ेदार रचना
आओ चलें, जँगल की ओर जहाँ कोई रचना न दिखेगी
और ज़ँगल ज़ँगल फूल खिलायेंगे
फिर धारा 377A खुल कर मनायेंगे
खुदा को बीच मे लाकर जो चाहे कर लो।
रचना रचनाकार की है,
रचना रचनाकार की कार लेकर घूमने जाएगी तो 'र' अपनी अम्मा के पीछे रोता हुआ भागेगा,
बचेगा चना,
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता,
उसे बो देने में भलाई है,
जब फसल आयेगी तो फिर से भाड़ फोड़ने की कोशिश की जाएगी !
Jai hooooooooooo................
बहुत बढ़िया लगा ! बेहद सुंदर और मज़ेदार रचना !
वाह अलबेला जी ८४ लाख योनियों का खेल सचमुच बड़ा ही सेक्सी है ||
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