कहीं कील गड़े हैं कदम-कदम,
कहीं पग-पग है अंगार
कहीं खड़ी है शीतल छाया,
कर सोलहा सिंगार
कहीं जीत के गीत सजे हैं,
कहीं रो रही है हार
सुख और दुःख के धागों से ही
बुना गया संसार
ये जीवन क्या है?
इक ताश की बाज़ी
घर-आँगन क्या है?
इक ताश की बाज़ी
किसी के हाथ में राजा-इक्का,
किसी के हाथ तुरूप
हर कोई यहाँ सेंक रहा
अपने हिस्से की धूप
अपने हिस्से की धूप......अपने हिस्से की धूप
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
5 comments:
sateek post abhaar.
बहुत खूब
Sahi kaha aapne "हर कोई यहाँ सेंक रहा
अपने हिस्से की धूप".....insaan ko samajhana sabse jyada mushkil hai
अपने हिस्से की धूप
बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत खूब
सच कहा आपने...हर किसी को किस्मत का मिलता है
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