आई मिस यू सुषमा स्वराज !
रीयली ..आई मिस यू वैरी मच !
देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी का बेड़ाग़र्क होने से सर्वाधिक सदमा मुझे
और मुझ जैसे उन लुच्चे लौन्डों को लगा है जिन्हें ये उम्मीद थी कि श्रीमती
सुषमा स्वराज एक बार फिर सूचना व प्रसारण मन्त्री बनेंगी व नयी पीढ़ी के
टी.वी. दर्शकों को एक बार फिर निहाल करेंगी। क्योंकि यही एक ऐसी भली
महिला है जिससे हम कुछ उम्मीद कर सकते हैं बाकी तो सब यों ही हैं
नितान्त पोंगे पंडित। कितने ही सूचना-प्रसारण मन्त्री सत्ता में आये और
कमा-खा के निकल लिए, किसी एक ने भी हम नौजवान दर्शकों की
भावनाओं को नहीं समझा। सिर्फ़-और-सिर्फ़ सुषमा स्वराज ने वह सौग़ात
हमें दी जो हम बड़ी ज़ोर से चाहते थे। टीवी के इतिहास में उन्होंने ही वे
सारी हाहाकारी चीज़ें पहली बार घर बैठे उपलब्ध कराईं जिनके लिए हमें
चोरी-छुपे बाहर झांकना पड़ता था।
मुझे आज भी याद है...नारी देह का दिगम्बर दर्शन करने के लिए हमारे
नौजवानों को या तो सिनेमा में जाकर अंग्रेज़ी फिल्मों का मोर्निंग शो देखना
पड़ता था या फिर विदेशों से आने वाली Play boy तथा उसी गौत्र की
भारतीय पत्रिका डेबोनेयर को खरीदना पड़ता था। कभी-कभी तो वे भी
मिलती नहीं थी इसलिए मजबूरी में मस्तराम रचित पीली पन्नी वाली
घटिया सी किताबें भी खरीदनी पड़ती थीं जिनमें सिर्फ़ पढ़ने ही पढ़ने का
मसाला होता था, देखने लायक कुछ भी नहीं होता था, तब हम झल्लाकर
अथवा खीझकर रह जाते थे। इससे ज़्यादा कर भी क्या सकते थे ?
हां....जो ज़्यादा उत्साहीलाल थे और साधन-सम्पन्न भी थे वे बैंकाक,
हांगकांग या नेपाल जाकर नैनसुख प्राप्त कर लेते थे, लेकिन औसत आदमी
यहीं भारत में इधर-उधर मुंह मारने की जुगाड़ में रहता।
फिर इस उजड़े चमन में जैसे बहार आई यानी एन.डी.ए. की सरकार
आई। अटलजी प्रधानमन्त्री बने व औरत-ए-आज़म सुषमा स्वराज
ब्रोडक़ास्ट मिनिस्टर बनीं। तब कहीं जाकर भारतीय दर्शक के दिन फिरे।
वर्ना आज भी हम बुद्धू बक्से पर केवल पारिवारिक धारावाहिक ही देख रहे
होते। भगवान भला करे सुषमाजी का जिन्होंने सत्ता में आते ही पहला काम
ये किया कि एच.बी.ओ. और फैशन टी.वी. को हरी झण्डी दे दी। जिन हरे
भरे और मांसल दृश्यों को देखने लोग दूर-दूर जाया करते थे अथवा
दूरदर्शन पर शनिवार की रात प्रसारित होने वाली देर रात की व्यस्क फ़िल्म
का इन्तज़ार करते थे..अब वे आसानी से उपलब्ध हो गए। इसका फ़ायदा ये
हुआ कि जी.टी.वी. वालों के भी हौसले बढ़ गए और उन्होंने भी फैशन टी.वी.
की टक्कर में ट्रेन्ड्ज़ चैनल चला दिया। यानी अब जहां देखो वहां मामला
रंगीन है, इसीलिए अर्चना पूरणसिंह कहती है - वाह क्या सीन है।
सुषमाजी,
अगर आप मन्त्री न बनतीं तो हम तरसते ही रहते उन गरमा-गरम दृश्यों
के लिए जिन्हें देखकर न केवल नैन सुख प्राप्त होता है अपितु आत्मिक
आनन्द की अनुभूति भी होती है। मेरा ही नहीं, मेरी पीढ़ी का ही नहीं, पुरानी
पीढ़ी के कई काका लोगों का मन भी सदैव कृतज्ञ रहेगा और बारम्बार ये
दुआ करेगा कि काश! एक बार फिर वे प्रसारण मन्त्री बन जाए तो जो कुछ शेष
रह गया है, वह भी उपलब्ध हो जाए। भगवान करे इस नई सरकार में फूट पड़
जाए, इसके सारे समर्थक आपस में लड़ पड़े, मिनिस्ट्री हथियानें के चक्कर
में इतना बड़ा लफड़ा हो जाए कि एक-एक गुट के कई गुट हो जाएं और
सारे गुटों को भाजपा वाले लपक कर गटागट गोली की तरह गटक ले अर्थात
कुछ भी उल्टा पुलटा हो जाए, चलेगा- लेकिन सुषमा स्वराज को मन्त्री बनाओ
और मन्त्रालय भी सूचना व प्रसारण वाला ही दो। अरे कांग्रेस वालो, अरे यूपीए
वालो.... किसी तरह सुषमाजी को अपने साथ मिलालो .... भगवान तुम्हारा
भला करेगा।
आई मिस यू सुषमा स्वराज
आई मिस यू वैरी मच
4 comments:
हा हा हा
बहुत बढिया।
( Treasurer-S. T. )
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो ....
अगर सुषमा जी फिर से सूचना एवं प्रसारण मंत्री बन गई तो मैँ तो बस यही गाऊँगा कि....
"दुख भरे दिन बीते रे भईय्या....अब सुख आयो रे"
मज़ेदार व्यंग्य
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