हसीनो-मस्त मौसम का ज़माना याद आता है
मुझे फिर आपका वो मुस्कुराना याद आता है
जिगर में आग जलती थी ,धुआं महफ़िल से उठता था
शमा के साथ दिल अपना जलाना याद आता है
निगाहों के मयखाने में लबों के सुर्ख प्याले थे
मगर उसका सुराही से पिलाना याद आता है
उलझ जाना, फ़ना होना मेरा गेसू की उलझन में
वो शरमा कर तुम्हारा मुंह छुपाना याद आता है
न अब वो ताज़गी है हुस्न में ,न इश्क़ में आतिश
मगर 'अलबेला' इक पैक़र पुराना याद आता है
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
वाह क्या कहने
बहुत अच्छा
मगर उसका सुराही से पिलाना याद आता है
bahut hi sundar hai aapaki yaade .......bahut hi khubsoorat
laazwaab
atisundar
bahut hi sundar hai apaki rachana ........behatarin hai aapaki yaade
badhaaee
bahut badhiyaa !!
निगाहों के मयखाने में लबों के सुर्ख प्याले थे
मगर उसका सुराही से पिलाना याद आता है
waah lajawwab,ekdam nazuk mizaz,dil ke gulshan ke nazdik shandar gazal behad sunder.
Ultimate ... bohot badhiya huzoor...
Jigar me aag aur mehfil me dhuaan .... waah waah kya khoob bandobast .... purana paikar to yaad aayega hi ....
bahut hi sundar hai apaki rachana,behatarin
bahut hi sundar hai apaki rachna, behatarin
badhaaee
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