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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

वो शरमा कर तुम्हारा मुंह छुपाना याद आता है ..........

हसीनो-मस्त मौसम का ज़माना याद आता है

मुझे फिर आपका वो मुस्कुराना याद आता है



जिगर में आग जलती थी ,धुआं महफ़िल से उठता था

शमा के साथ दिल अपना जलाना याद आता है



निगाहों के मयखाने में लबों के सुर्ख प्याले थे

मगर उसका सुराही से पिलाना याद आता है



उलझ जाना, फ़ना होना मेरा गेसू की उलझन में

वो शरमा कर तुम्हारा मुंह छुपाना याद आता है



न अब वो ताज़गी है हुस्न में ,न इश्क़ में आतिश

मगर 'अलबेला' इक पैक़र पुराना याद आता है

8 comments:

M VERMA August 16, 2009 at 3:58 PM  

वाह क्या कहने
बहुत अच्छा
मगर उसका सुराही से पिलाना याद आता है

ओम आर्य August 16, 2009 at 4:05 PM  

bahut hi sundar hai aapaki yaade .......bahut hi khubsoorat
laazwaab
atisundar

ओम आर्य August 16, 2009 at 4:07 PM  

bahut hi sundar hai apaki rachana ........behatarin hai aapaki yaade
badhaaee

परमजीत सिहँ बाली August 16, 2009 at 4:56 PM  

bahut badhiyaa !!

mehek August 16, 2009 at 8:16 PM  

निगाहों के मयखाने में लबों के सुर्ख प्याले थे

मगर उसका सुराही से पिलाना याद आता है

waah lajawwab,ekdam nazuk mizaz,dil ke gulshan ke nazdik shandar gazal behad sunder.

Sudeep Dwary August 16, 2009 at 11:12 PM  

Ultimate ... bohot badhiya huzoor...

Jigar me aag aur mehfil me dhuaan .... waah waah kya khoob bandobast .... purana paikar to yaad aayega hi ....

Mithilesh dubey August 17, 2009 at 10:52 AM  

bahut hi sundar hai apaki rachana,behatarin

Mithilesh dubey August 17, 2009 at 10:53 AM  

bahut hi sundar hai apaki rachna, behatarin
badhaaee

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