सियारी खाल की बदबू हवा से जान लेता हूं
सियासत वालों को मैं दूर से पहचान लेता हूँ
भुवन में हो कोई बाधा तो आए रोक ले मुझको
वो पूरा करके रहता हूं जो मन में ठान लेता हूं
मेरे गंगानगर में नहर है पंजाब से आती
इसी कारण मैं पीने से प्रथम जल छान लेता हूं
ये सब इक कर्ज़ अदाई है, न बेटा है, न भाई है
मगर तुम कह रहे हो तो चलो मैं मान लेता हूं
मैं अपने घर का चूल्हा अपने ईधन से जलाता हूं
न तो अनुदान मिलता है, न मैं ऐहसान लेता हूं
मेरा जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-मुल्क़ लासानी है सच मानो
मैं सपने में भी बस इक नाम हिन्दोस्तान लेता हूं
प्रिये तुम जा रही हो तो मेरे सब लाभ ले जाओ
मैं अपने सर पे 'अलबेला' सभी नुक़सान लेता हूं
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
6 comments:
सुन्दर, भावपूर्ण रचना ! बहुत-बहुत बधाई !
khoobsurat rachna!
अलबेला जी, बहुत बढिया रचना है।बधाई।
सियारी खाल की बदबू हवा से जान लेता हूं
सियासत वालों को मैं दूर से पहचान लेता हूँ
सुन्दर,
वाह अलबेला जी छा गये।
सुन्दर...भाव भरी रचना
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