भोले मन
कर हरि का सुमिरन
मुश्क़िल है पर मिल जाएगा
तुझको राम रतन
मेरे मन......................
सुमिरन से संकट कटते,संताप मिटेंगे सारे
सुमिरन की तलवार से तेरे पाप काटेंगे सारे
साँसों में चन्दन महकेगा
तन होगा कुन्दन
मेरे मन ....................
बस्ता ढोते बचपन बीता, काम में गई जवानी
आगे बुढापा जर जर काया, बस फिर ख़त्म कहानी
बातों में ही बीत न जाए
ये पूरा जीवन
मेरे मन .....................
पहले ही बहुतेरी हो गई,और न करियो देरी
पाँच तत्त्व के पुतले में कुछ पल का प्राण पखेरी
जाने कौन घड़ी आ जाए
मृत्यु का सम्मन
मेरे मन
भोले मन,
कर हरि का सुमिरन
मुश्क़िल है पर मिल जाएगा
तुझको राम रतन ...............मेरे मन....................
5 comments:
बडॆ गम्भीर मूड में लग रहे है आज तो:)
महाराज, एक बात बताओ एसा क्यों है की अगर आप जैसा कोई हास्य कवि कोई गंभीर विषय पर कुछ लिखता है तो लोगो को बहुत अचरज होता है ?
क्या हास्य कवि इंसान नहीं ?
क्या हास्य कवि कभी किसी समस्या से पीडित नहीं होता ?
क्या हास्य कवि सिर्फ़ एक मसखरा है ?
इन लोगो को यह क्यों नहीं समझ आता कि एक हास्य कवि की ज़िन्दगी भी तमाम तरह की मुश्किलात को तय करती हुयी गुज़रती है जैसे कि किसी भी आम इंसान की |
albela ji , jab jab aap koi bhajan ya prabhu ki archana me kuch bhi likhte hai to man ko bha jaata hai . pichli baar aapne radha-krishan ke upar likha tha aaj ye geet ..
man shaant ho gaya ji .. mera naman hai aapko ..
namaskar .
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
क्या बात है गम्भीर मूड में लग रहे है आज,।
सही पथ पर चलने को प्रेरित करती सुन्दर रचना
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