मान अभिमान तज,
तप और दान तज,
तज चाहे गीता और तज दे क़ुरान को
नौहा और नाला तज,
गिरजा शिवाला तज,
तज चाहे तीज चौथ नौमी रमज़ान को
काशी काबा ग्रन्थ तज,
चाहे सारे पन्थ तज,
तज दे तू भजनों की लम्बी लम्बी तान को
ईश की आराधना का
मन यदि करता है
प्रेम कर... प्रेम कर .....हर इन्सान को
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति
इंसान अगर इंसान को प्रेम करने लगे तो फिर किसी मन्दिर मस्ज़िद मे जाने की आवश्यकता ही न पडे
तज चाहे गीता! आपकी इस बेहतर कविता में बाकी चीजों के तजने के बारे में तो मुझे कुछ नहीं कहना! हां, गीता के बारे में यह जरूर कह सकता हूं कि उसको पढ़ें और समझें तभी इंसान सहित सभी जीवों को प्रेम किया जा सकता है।
दीपक भारतदीप
ईश की आराधना का
मन यदि करता है
प्रेम कर... प्रेम कर .....हर इन्सान को
बिल्कुल सटीक !!
आपके इस गीत नें मन को छू लिया.
बहुत ही सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति
चाहे गीता बाछिये , या पढिए कुरान ,
तेरा मेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान |
हमेशा की तरह बढ़िया पोस्ट लगाई है |
अलबेला भाई यह है प्रगतीशील कविता . जो प्रेम को हर धर्म से ऊपर स्थापित करती है क्योंकि प्रेम नही होगा तो हम इस धर्म का करेंगे क्या?
सुन्दर अभिव्यक्ति साधू
ईश की आराधना का
मन यदि करता है
प्रेम कर... प्रेम कर .....हर इन्सान को
बेहतरीन् रचना!!!!
बढिया सीख देती सुन्दर कविता
लाजवाब!!!
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