भाषणों-बयानों से ही
फ़ुर्सत नहीं है इन्हें
ख़ाक करें नेता काम-काज मेरे देश में
हो चुके हैं आज ला-इलाज मेरे देश में
हो रहा गुलामी का आग़ाज़ मेरे देश में
हिजड़े चला रहे हैं राज मेरे देश में
भाषणों-बयानों से ही
फ़ुर्सत नहीं है इन्हें
ख़ाक करें नेता काम-काज मेरे देश में
हो चुके हैं आज ला-इलाज मेरे देश में
हो रहा गुलामी का आग़ाज़ मेरे देश में
हिजड़े चला रहे हैं राज मेरे देश में
Labels: छन्द घनाक्षरी कवित्त
Copyright 2009 - Albelakhatri.com
6 comments:
accha hai
...और हम उन्हीं को वोट देकर गद्दी पर बिठा रहे हैं:)
हर शाख पे उल्लू बैठा है ,
तो अंजाम-ऐ-गुलिस्तान क्या कहिये ??
हुकुमरानों की भीड़ में,जो नहीं कोई रहेनुमा ,
तो अंजाम-ऐ-नौजवान क्या कहिये ??
जब हर गली में नेता रहेता है ,
तो अंजाम-ऐ-हिंदुस्तान क्या कहिये ??
कोई नहीं है हीरो इनमें
रहे तीनों हमेशा विलेन
माननीय नेता इनके गुण्डे
और इन्हीं की पुलिस
कोई नहीं है हीरो इनमें
रहे तीनों हमेशा विलेन
माननीय नेता इनके गुण्डे
और इन्हीं की पुलिस
भई!
ये तो श्री राम का दिया हुआ आशीर्वाद है।
श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं-
आपका शुभ हो, मंगल हो, कल्याण हो |
Post a Comment