न मन्दिर में, न मस्जिद में, न गिरजाघर में पाया है
इसी नरदेह में, अनहद के सच्चे घर में पाया है
कई रोते-भटकते, एड़ीयां घिसते रहे युग-युग
तो कुछ ऐसे दीवाने हैं कि बस पल भर में पाया है
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
5 comments:
कई रोते-भटकते, एड़ीयां घिसते रहे युग-युग
तो कुछ ऐसे दीवाने हैं कि बस पल भर में पाया है
भाई वाह अलबेला जी क्या रचना है, लाजवाब। कुछ ही लाइनों मे बहुत कुछ कह डाला आपने।
बहुत सुन्दर....आध्यात्मिक रचना....कम शब्दो में सार्थक अभिव्यक्ति. आभार
वाह अलबेलाजी, कुछ अलग ही तेवर दिख रहे हैं आज तो!!!
सत्य वचन
बहुत खूब
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