मेरे देश के जैसेतैसे राजनेताओं ! यदि तुम भारत के साथ-साथ अपना भी
भला चाहते हो, तो सारे षड्यंत्र व सारी फान्देबाजियाँ छोड़कर पहले मेरे इस
लेख को पढ़ो और पूरे गौर से पढ़ो। क्योंकि ये मौका चूक गए तो पता नहीं
दोबारा पढऩे को मिले, न मिले। बाद में मुझे न कहना कि बताया नहीं था।
हालांकि इस देश को चलाने की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है, मेरी नहीं, लेकिन
तुम लोग नालायकों की भान्ति काम कर रहे हो, ढंग से चला नहीं पा रहे हो
इसलिए मैंने तुम्हारी मदद करने का निर्णय लिया और ये लेख लिखा वर्ना
मुझे कोई पागल पाकिस्तानियों ने नहीं काटा है कि मैं अपने घर का काम
काज छोड़कर तुम्हारे साथ माथा मारूं।
इस वक्त तुम्हारी हालत बहुत पतली है, इतनी पतली है कि करीना कपूर की
भान्ति ज़ीरो फिगर है। जैसे करीना कन्फ्यूज़ है कि उसे किसके साथ दोस्ती
करनी है, किसके साथ शादी करनी है, किसके साथ हनीमून अटैन्ड करना है,
किसके साथ फिल्में करनी है और किसके साथ लाइफ पार्टनरशिप निभानी है,
उसी प्रकार तुम भी कन्फ्यूज़ हो कि किस पार्टी को जोड़ना है, किससे जुड़ना
है, किसको पटाना है, किससे पटना है, कैसे सरकार बनानी है और कितने
दिन चलानी है तथा किन किन की सप्पोर्ट से चलानी है, इस कन्फ्य़ूजन में
तुम न घर के रहे हो ना घाट के, बिल्कुल 'उस' के 'उस' जैसे हो गए हो।
इसलिए मैं दया करके तुम्हें एक रास्ता सुझाता हूं पर याद रखो, ये दया मैं
तुम पर नहीं कर रहा हूं, लोकतन्त्र पर कर रहा हूं ताकि वह जीवित रह सके
और देश का अवाम पांच साल तक अमन-चैन की ज़िन्दगी जी सके। तुम
लोगों ने अपने सारे फार्मूले व टोटके आज़मा लिए, तरह-तरह की सरकारें
बना के देख लीं, अब जो मैं कहता हूं वो करो...
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस (आई) मिलकर सरकार बनाओ। अभी
तो अलग-अलग हो, लेकिन चुनाव परिणाम यदि स्पष्ट बहुमत न दिखाये
और नौबत जगह-जगह मुंह मारने की पैदा हो जाए तो अपना सारा गुरूर,
अपना सारा घमण्ड इस वतन के लिए क़ुर्बान कर दो और भाजपा व इंका
मिलके एक साथ साझा कार्यक्रम निर्धारित करके सरकार बनाओ क्योंकि
तुम दो पार्टियां ही ऐसी हो जिन पर देश भरोसा करता है। और ये असम्भव
भी नहीं हैं क्योंकि जब भाजपा और बसपा में दोस्ती हो गई, इंका और
वामदलों में गठबंधन हो गया तथा आपस में कट्टर दुश्मन मुलायम-लालू
और पासवान भी जब एक हो सकते हैं तो भाजपा व कांग्रेस तो परस्पर
मिल ही सकते हैं और अच्छी बात ये है कि दोनों ही पार्टियों में कुछ लोग
बहुत अच्छे हैं जो कि देश का भला कर सकते हैं। जब दोनों पार्टियां एक हो
जाएंगी तो दोनों तरफ के जीनियस लोग सत्ता में रहेंगे और अवसरवादी
क्षेत्रीय दलों के आगे बार-बार नाक नहीं रगड़नी पड़ेगी ... अरे भाई, दूसरों
के नखरे उठा सकते हो, उनके हाथों ब्लैकमेल हो सकते हो, तो ये क्यूं नहीं
कर लेते। सारा झंझट ही खत्म हो जाएगा। सारे बाहुबली, धनबली,
क्षेत्रबली ये बली वो बली, में खलबली मच जाएगी और तुम्हारी सरकार
पूरे पांच साल तक बिना किसी अवरोध के चलेगी।
रहा सवाल प्रधानमन्त्री बनने का या बनाने का तो इसका निर्णय चुनाव
परिणाम कर देगा। जिस पार्टी की सीटें ज्य़ादा हों उसी पार्टी का
प्रधानमन्त्री बना दो और दूसरी पार्टी का उप प्रधानमन्त्री बना दो। झंझट
खत्म। इसमें इतना हो-हल्ला और झगड़ेबाज़ी की ज़रूरत ही क्या है।
समय आ गया है कि अब राजनैतिक दल अपने झण्डे के लिए नहीं बल्कि
राष्ट्रीय झण्डे के लिए काम करें... अरे जब रात और दिन एक साथ रह
सकते हैं, नारी व पुरूष, एक साथ रह सकते हैं, सिक्के के दो पहलू एक
साथ रह सकते हैं यहां तक कि हमारे शरीर में पांच परस्पर विरोधी तत्व
एक साथ रह कर इस शरीर को चला सकते हैं, तो क्या आपको इतनी भी
अक्ल नहीं कि इस देश को चलाने के लिए एक हो जाओ... मान जाओ
यार, मान जाओ... तुम्हारे पास अब सिर्फ़ यही उपाय बचा है जिसे
अपनाने से सबका भला होगा और न अपनाया तो फिर वही खिचड़ी
सरकार तथा फिर वही रोज़ के नाटक होंगे। सोच लो, मैंने तो निवेदन
किया है... अब मानना न मानना तुम्हारी तक़दीर। तुम अगर भाग्यशाली
हो, तो मान जाओगे और करमफूटे हो तो भाड़ में जाओ। मेरा क्या है,
मुझे तो कविता लिख-लिखकर लोगों को हँसाना है
और अपना घर चलाना है.............
भला चाहते हो, तो सारे षड्यंत्र व सारी फान्देबाजियाँ छोड़कर पहले मेरे इस
लेख को पढ़ो और पूरे गौर से पढ़ो। क्योंकि ये मौका चूक गए तो पता नहीं
दोबारा पढऩे को मिले, न मिले। बाद में मुझे न कहना कि बताया नहीं था।
हालांकि इस देश को चलाने की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है, मेरी नहीं, लेकिन
तुम लोग नालायकों की भान्ति काम कर रहे हो, ढंग से चला नहीं पा रहे हो
इसलिए मैंने तुम्हारी मदद करने का निर्णय लिया और ये लेख लिखा वर्ना
मुझे कोई पागल पाकिस्तानियों ने नहीं काटा है कि मैं अपने घर का काम
काज छोड़कर तुम्हारे साथ माथा मारूं।
इस वक्त तुम्हारी हालत बहुत पतली है, इतनी पतली है कि करीना कपूर की
भान्ति ज़ीरो फिगर है। जैसे करीना कन्फ्यूज़ है कि उसे किसके साथ दोस्ती
करनी है, किसके साथ शादी करनी है, किसके साथ हनीमून अटैन्ड करना है,
किसके साथ फिल्में करनी है और किसके साथ लाइफ पार्टनरशिप निभानी है,
उसी प्रकार तुम भी कन्फ्यूज़ हो कि किस पार्टी को जोड़ना है, किससे जुड़ना
है, किसको पटाना है, किससे पटना है, कैसे सरकार बनानी है और कितने
दिन चलानी है तथा किन किन की सप्पोर्ट से चलानी है, इस कन्फ्य़ूजन में
तुम न घर के रहे हो ना घाट के, बिल्कुल 'उस' के 'उस' जैसे हो गए हो।
इसलिए मैं दया करके तुम्हें एक रास्ता सुझाता हूं पर याद रखो, ये दया मैं
तुम पर नहीं कर रहा हूं, लोकतन्त्र पर कर रहा हूं ताकि वह जीवित रह सके
और देश का अवाम पांच साल तक अमन-चैन की ज़िन्दगी जी सके। तुम
लोगों ने अपने सारे फार्मूले व टोटके आज़मा लिए, तरह-तरह की सरकारें
बना के देख लीं, अब जो मैं कहता हूं वो करो...
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस (आई) मिलकर सरकार बनाओ। अभी
तो अलग-अलग हो, लेकिन चुनाव परिणाम यदि स्पष्ट बहुमत न दिखाये
और नौबत जगह-जगह मुंह मारने की पैदा हो जाए तो अपना सारा गुरूर,
अपना सारा घमण्ड इस वतन के लिए क़ुर्बान कर दो और भाजपा व इंका
मिलके एक साथ साझा कार्यक्रम निर्धारित करके सरकार बनाओ क्योंकि
तुम दो पार्टियां ही ऐसी हो जिन पर देश भरोसा करता है। और ये असम्भव
भी नहीं हैं क्योंकि जब भाजपा और बसपा में दोस्ती हो गई, इंका और
वामदलों में गठबंधन हो गया तथा आपस में कट्टर दुश्मन मुलायम-लालू
और पासवान भी जब एक हो सकते हैं तो भाजपा व कांग्रेस तो परस्पर
मिल ही सकते हैं और अच्छी बात ये है कि दोनों ही पार्टियों में कुछ लोग
बहुत अच्छे हैं जो कि देश का भला कर सकते हैं। जब दोनों पार्टियां एक हो
जाएंगी तो दोनों तरफ के जीनियस लोग सत्ता में रहेंगे और अवसरवादी
क्षेत्रीय दलों के आगे बार-बार नाक नहीं रगड़नी पड़ेगी ... अरे भाई, दूसरों
के नखरे उठा सकते हो, उनके हाथों ब्लैकमेल हो सकते हो, तो ये क्यूं नहीं
कर लेते। सारा झंझट ही खत्म हो जाएगा। सारे बाहुबली, धनबली,
क्षेत्रबली ये बली वो बली, में खलबली मच जाएगी और तुम्हारी सरकार
पूरे पांच साल तक बिना किसी अवरोध के चलेगी।
रहा सवाल प्रधानमन्त्री बनने का या बनाने का तो इसका निर्णय चुनाव
परिणाम कर देगा। जिस पार्टी की सीटें ज्य़ादा हों उसी पार्टी का
प्रधानमन्त्री बना दो और दूसरी पार्टी का उप प्रधानमन्त्री बना दो। झंझट
खत्म। इसमें इतना हो-हल्ला और झगड़ेबाज़ी की ज़रूरत ही क्या है।
समय आ गया है कि अब राजनैतिक दल अपने झण्डे के लिए नहीं बल्कि
राष्ट्रीय झण्डे के लिए काम करें... अरे जब रात और दिन एक साथ रह
सकते हैं, नारी व पुरूष, एक साथ रह सकते हैं, सिक्के के दो पहलू एक
साथ रह सकते हैं यहां तक कि हमारे शरीर में पांच परस्पर विरोधी तत्व
एक साथ रह कर इस शरीर को चला सकते हैं, तो क्या आपको इतनी भी
अक्ल नहीं कि इस देश को चलाने के लिए एक हो जाओ... मान जाओ
यार, मान जाओ... तुम्हारे पास अब सिर्फ़ यही उपाय बचा है जिसे
अपनाने से सबका भला होगा और न अपनाया तो फिर वही खिचड़ी
सरकार तथा फिर वही रोज़ के नाटक होंगे। सोच लो, मैंने तो निवेदन
किया है... अब मानना न मानना तुम्हारी तक़दीर। तुम अगर भाग्यशाली
हो, तो मान जाओगे और करमफूटे हो तो भाड़ में जाओ। मेरा क्या है,
मुझे तो कविता लिख-लिखकर लोगों को हँसाना है
और अपना घर चलाना है.............
3 comments:
भैया, सलाह तो नेक है, लेकिन जिसके घर में पहले से ही महाभारत चल रही हो, वो भला दूसरों से क्या दोस्ती करेगा. वैसे भी आजकल तो भाई भाई ही एक दुसरे के दुश्मन बने हुए हैं.
जय कलियुग.
"तुम न घर के रहे हो ना घाट के, बिल्कुल 'उस' के 'उस' जैसे हो गए हो।"
"समय आ गया है कि अब राजनैतिक दल अपने झण्डे के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रीय झण्डे के लिए काम करें."
सटीक राय दी आपने |
अच्छी पोस्ट लगाई है।
बधाई।
बहुत ही बढिया ...सट%ईक एवं न्र्भीक सलाह दी है आपने लेकिन...क्या ऐसा हो पाएगा?
खैर!...उम्मीद पे तो दुनिया कायम है ही...
Post a Comment