उनकी किस्मत में हँसना, अपनी किस्मत में रोना था
क्योंकि अपने अरमानों का बोझ हमीं को ढोना था
बेशक मेरे घर की हर दीवार मुझ ही पर टूट पड़ी
लेकिन कुछ अफ़सोस नहीं है, हुआ वही जो होना था
समझे थे जिसको हम दिल और ख़्वाब बुने थे बड़े-बड़े
आज हुआ मालूम हमें वह ख़ाक का एक खिलौना था
सिगरेट पी कर जब सोचें तो धुआं आड़े आ जाता है
बिस्तर सारा सुलग चुका है जिस पे मुझको सोना था
रफ़्ता-रफ़्ता उभर रही है 'अलबेला' उनकी तस्वीर
सूना-सूना सा अब तक लगता दिल का हर कोना था
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
समझे थे जिसको हम दिल और ख़्वाब बुने थे बड़े-बड़े
आज हुआ मालूम हमें वह ख़ाक का एक खिलौना था
इन पंक्तियो मे जो दर्द है उसे एक आत्मा ही समझ सकती है यह दर्द जब आखिरकर मे पता है इन्सान जब सभी तरह की कोशिशे बेकार हो जाती है .........पर मै यही दुआ करुन्गा की खुदा बस एक बार आप्की उन आरमानो को पंख दे और उडान भरे भी उसकी ताकत खुदा बख्से.......आमीन
बहुत सुन्दर....
गुलमोहर का फूल
अच्छी रचना!
"बेशक मेरे घर की हर दीवार मुझ ही पर टूट पड़ी
लेकिन कुछ अफ़सोस नहीं है, हुआ वही जो होना था"
अति उत्तम
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