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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

हस्तीमल 'हस्ती' के दोहे ........................

पार उतर जाए कुसल किसकी इतनी धाक

डूबे अखियन झील में बड़े - बड़े तैराक


जाने किससे है बनी, प्रीत नाम की डोर

सह जाती है बावरी, दुनिया भर का ज़ोर


होता बिलकुल सामने प्रीत नाम का गाँव

थक जाते फिर भी बहुत राहगीर के पाँव


फीकी है हर चुनरी, फीका हर बन्देज

जो रंगता है रूप को वो असली रंगरेज


तन बुनता है चदरिया, मन बुनता है पीर

एक जुलाहे सी मिली, शायर को तक़दीर


2 comments:

राजीव तनेजा August 9, 2009 at 8:40 AM  

बहुत ही बढिया...

हर दोहा सच्चाई को ब्याँ कर रहा है

Mithilesh dubey August 9, 2009 at 4:56 PM  

बहुत बढिया........

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