पार उतर जाए कुसल किसकी इतनी धाक
डूबे अखियन झील में बड़े - बड़े तैराक
जाने किससे है बनी, प्रीत नाम की डोर
सह जाती है बावरी, दुनिया भर का ज़ोर
होता बिलकुल सामने प्रीत नाम का गाँव
थक जाते फिर भी बहुत राहगीर के पाँव
फीकी है हर चुनरी, फीका हर बन्देज
जो रंगता है रूप को वो असली रंगरेज
तन बुनता है चदरिया, मन बुनता है पीर
एक जुलाहे सी मिली, शायर को तक़दीर
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
2 comments:
बहुत ही बढिया...
हर दोहा सच्चाई को ब्याँ कर रहा है
बहुत बढिया........
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