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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

एक गोरी साँवरी सी मेरे गीतों की फ़ैन हो गई

एक गोरी साँवरी सी मेरे गीतों की फै़न हो गई

एक छोरी बावरी सी मेरे गीतों की फै़न हो गई


पनघट जाती-जाती गाये

जल भर लाती-लाती गाये

आती गाये, जाती गाये

सखियों से बतियाती जाये

पल में सौ बल खाती जाये

गीत वो मेरे गाती जाये


कितनी बेचैन हो गई, कितनी बेचैन हो गई ... रे मेरे गीतों की ....



उसकी छैल छबीली आँखें

चन्चल आँखें , कटीली आँखें

बिजली सी चमकीली आँखें

मोटी-मोटी मछीली आँखें

नीली और नशीली आँखें

आबे-हया से गीली आँखें


तीर्थ उज्जैन हो गईं, तीर्थ उज्जैन हो गईं ... रे मेरे गीतों की ...



जब जब मेरी याद सताये

उसकी मोहब्बत अश्क़ बहाये

तन घबराये, मन घबराये

उसका अखिल यौवन घबराये

जग-जग सारी रैन बिताये

पल दो पल भी नींद आये


रातें क़ुनैन हो गईं, उसकी रातें क़ुनैन हो गईं .. रे मेरे गीतों की ...

3 comments:

Mithilesh dubey August 6, 2009 at 10:01 AM  

जब जब मेरी याद सताये

उसकी मोहब्बत अश्क़ बहाये

तन घबराये, मन घबराये

उसका अखिल यौवन घबराये

जग-जग सारी रैन बिताये

पल दो पल भी नींद न आये

vah-vah lajvab rchna

ओम आर्य August 6, 2009 at 10:19 AM  

waah kya geet likhi hai aapane ........pyar ki fuhar hai aapaki yah geet .......ek khubsoorat rachana .........badhaee

Vinay August 6, 2009 at 6:32 PM  

लाजवाब
---
'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!

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