समीरलालजी,
शहर के बीचो-बीच एक सुन्दर बाग़ है जहाँ लोग ताज़गी का आनंद
लेने आते हैं । अब उन लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो बाग़ की दीवारों
पर वो सब करते हैं जो rest room में किया जाता है लेकिन कोई
कुछ नहीं बोलता... आपत्ति भी नहीं करता क्योंकि वे सब जान-पहचान
वाले अथवा मित्र हैं .........कौन किसी की नाराजगी मोल ले..........
संयोग से एक बाहरी व्यक्ति वहाँ घूमने आता है और ये देखता है
एक सूचना वहाँ की दीवार पर लिखता है कि कृपया यहाँ ये न करें ...
यहीं से समस्या शुरू हो जाती है ...करने वाले तोह तमाशा देखते रहते हैं
लेकिन लिखने वाले के सब दुश्मन हो जाते हैं
ऐसे में उस बाहरी आदमी को क्या करना चाहिए ..ये आप बतादें ताकि
वह व्यक्ति सब को अपनी बात समझा सके.............
आप मेरा आशय समझ गए होंगे ....
मेरे सामने एक समस्या है कि मैं कुछ लोगों का बहुत ही आदर करता हूँ
और जिनका आदर करता हूँ उनकी बात भी मानता हूँ
१.श्री समीरलाल
२.श्री प्राण जी शर्मा
३.डॉ.सुधा ओम ढींगरा
४.श्री आशीष खंडेलवाल
५.श्री अजित वडनेरकर
६.श्री अविनाश वाचस्पति
७.श्री रतनसिंह शेखावत
८.श्रीमती हरकीरत हकीर
९.श्री राकेश खंडेलवाल
१०.श्री राजीव तनेजा
११.श्री ताऊ रामपुरिया
_________________कृपया आप लोग बताएं कि
इस अवांछित वैमनस्य का इलाज क्या है ?
क्या मैं वे सारे शब्द , वे सब पोस्ट इस मंच पर सार्वजनिक करके
अपना पक्ष रखूँ या अपना समय अपने काम में खर्च करूँ ?
क्या किसी एक पक्ष के जीतने या हारने पर ही विवाद ख़त्म होगा ?
क्या कोई ये समझने का प्रयास भी नहीं करेगा कि मामला क्या है ?
आप और उपरोक्त अन्य सम्मानित लोगों कि उपस्थिति मेरे
जलाल को रोक रही है...
कृपया इस का हल बताएं
यदि हो सके तोह तुरन्त बताएं ...
एक बार तीर कमान से छूटा तोह छूट जाएगा...
मैं प्रतीक्षा करूँगा...........
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
1 comments:
मित्र,
सब कुछ भूल कर आप फिर से लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का अपना कार्य प्रारंभ करें
एक बात और कहना चाहूंगा कि ये मेरा सौभाग्य है कि आपने मुझ जैसे अदना से ब्लॉगर को इतने बड़े-बड़े लोगों की श्रेणी में सम्मिलित किया...
धन्यवाद
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