तो देवीयों और सज्जनों !
नौबत यहाँ तक आ पहुँची है कि साहित्य पर चर्चा करने वाले लोग अब पिछले
रास्ते से खर्चा पानी (?) देने पर उतारू हो गए हैं । वोह भी ऐसे लोग जिनमे अपना
नाम तक बताने की हिम्मत नहीं है । ख़ुद तो बेनामी हैं ही ..धमकियाँ भी बेनामी
देते हैं ।
अब जबकि श्री समीरलाल और श्री राजीव तनेजा तथा अन्य मित्रों के आग्रह पर
मैं विवाद को एक तरफा ख़त्म करके अपने काम में लग गया हूँ तो ये कौन
बेनामी Anonymous अब email और टिप्पणी में धमकी देता है कि मंच
पर महिलाओं से मेरा स्वागत (स्वागत?) कराएगा ...
क्यों रे बेईमान सॉरी बेनाम !
क्या इस देश की महिलाओं को तुमने इतना फालतू और टपोरी समझा है जो कि
मेरे पर अपना वक्त ख़राब करेंगी............प्यारे बेनामी ! जो महिलायें मुझे और
मेरे योगदान को जानती हैं क्या वे ऐसा कर पाएंगी ..........और क्यों करेंगी भाई ?
मैंने उनका बिगाड़ा क्या है ? और तुम कहाँ बीच में ठेकेदार बने हो.......
योग्यता है तो शास्त्रार्थ करले
किसी वहम में है तो शस्त्रार्थ कर ले .........प्यारे मैं दोनों तरफ़ से राज़ी हूँ
पर अपना नाम तो बता ....आख़िर ऐसा क्या गुनाह तूने किया है जो
बेनामी बना घूम रहा है
याद रख...............
मैं संग तो नहीं हूँ मगर मुझसे बच के चल......
तू आइना नहीं है मगर टूट जाएगा
क्योंकि
आग से आग बुझाने का हुनर रखते हैं
हम सितमगर को सताने का हुनर रखते हैं
मौत क्या हम को डराएगी अपनी आँखों से
मौत को आँख दिखाने का हुनर रखते हैं
_______प्यारे याद रखियो....मैं तो तुम्हें नहीं जानता , लेकिन आज के बाद
तू दुआ करना कि मुझे कुछ न हो , क्योंकि मुझे कहीं भी, कुछ भी हो गया तो
पुलिस तुम्हारा नाम पता सब ढूंढ लेगी ,,,,
ज़रा ठण्ड रख...........ख़ुद भी शान्ति से रह और हमें भी सुकून से रहने दे
इसी के साथ तुझे भी मित्रता दिवस की बधाई
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
ये रही वो धमकी भरी मेल और टिप्पणी
अगले सप्ताह के आपके कार्य्क्रमो की सूची भेजे, देश के बहुत से महिला संगठन मंच पर आपकी आव-भगत करने तत्पर है। शुभकामनाए।
Posted by Anonymous to Albelakhatri.com at August 2, 2009 9:24 AM
ज़रा सामने तो आओ छलिये ....Anonymous !
Posted by
Unknown
Sunday, August 2, 2009
show details 9:58 PM (0 minutes ago)
Anonymous has left a new comment on your post "उफ्फ ! ये रचना ? भइया वीनस केसरी ! ज़रा देखो...":
Labels: बेनामी धमकी छिछोरापन का जवाब
4 comments:
- राजीव तनेजा August 3, 2009 at 12:40 AM
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मित्र,
आप अपने रस्ते पे उसी बेफिक्री से चलते रहीं जैसे कोई मस्त हाथी किसी के बोलने या....
की परवाह किए बिना अपनी मस्त चाल से चलता रहता है
किसी(बेनामी-शेनामी)की भी परवाह करना व्यर्थ है
अगर वो इतने ही सच्चे और अच्छे हैँ तो उन्हें अपना नाम उजागर करने में कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होनी चाहिए - चन्दन कुमार August 3, 2009 at 1:37 AM
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kya khoob kahi hai janab
- परमजीत सिहँ बाली August 3, 2009 at 11:01 AM
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अलबेला जी,सिर्फ पंजिकृत ब्लोगरो को ही टिप्पणी करने की अनुमति दें।इन बेनामी से मुक्ति मिल जाएगी।या टिप्पनीयां पहले जाँच ले फिर प्रकाशित करें।
- निशाचर August 3, 2009 at 8:26 PM
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काहे परेशान होते हैं मित्र, अनाम कुल-गोत्र का होने की वजह से परेशान है बेचारा. जिस दिन कुल-गोत्र का पता पा जायेगा स्वयं ही अपना नाम बता देगा. तब तक जनाना टेंट हाउस की ठेकेदारी सम्हालने दो गरीब को.
अगले सप्ताह के आपके कार्य्क्रमो की सूची भेजे, देश के बहुत से
महिला संगठन मंच पर आपकी आव-भगत करने तत्पर है।
शुभकामनाए।