गीतकार, हास्यकवि अलबेला खत्री ओजस्वी काव्य प्रस्तुत करते हुए
चाहे कोई कितने सितम तोड़ ले
चाहे कोई कितने ही बम फोड़ ले
उन्नत मस्तक अब झुकेगा नहीं
प्रगति का रथ अब रुकेगा नहीं
देशद्रोहियों से दो-दो हाथ करेंगे
प्रजा औ प्रशासन साथ-साथ करेंगे
डरा है न डरेगा हमारा गुजरात
स्वर्ग सा सुरम्य है हमारा गुजरात
___________________हमारा गुजरात हमारा गुजरात
___________________हमारा गुजरात हमारा गुजरात
2 comments:
डरा है न डरेगा हमारा गुजरात
स्वर्ग सा सुरम्य है हमारा गुजरात
वाह अलबेला जी अगर दिल मे हो ऐसी चाह तो, तो क्या बात है, हर सपना पुर होगा।
सुंदर मधुर रचना। बधाइ स्वीकारें।
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