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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

आदमी भगवान से कुछ कम नहीं

नम्रता यदि ज्ञान से कुछ कम नहीं
तो अहम अज्ञान से कुछ कम नहीं

सड़ रहे हैं शव जहां पर प्राणियों के
वे उदर श्मशान से कुछ कम नहीं

जिस हृदय में प्रेम और करुणा नहीं
वो हृदय पाषाण से कुछ कम नहीं

इतनी महंगाई में भी ज़िन्दा हैं हम
यह किसी बलिदान से कुछ कम नहीं

आचरण यदि दानवों का छोड़ दे तो
आदमी भगवान से कुछ कम नहीं

काव्य में जिसके कलेजे की क़शिश है
वह कवि रसखान से कुछ कम नहीं

आपने अलबेला की कविताएं पढ़ लीं
यह किसी ऐहसान से कुछ कम नहीं

3 comments:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा August 4, 2009 at 8:53 AM  

समय बदल गया। जिन असुरों से ड़र कर बार-बार स्वर्ग छोड़ने की चिंता सताती थी, देवों को, पता नहीं किसकी अक्लमंदी ने उन असुरों को मंहगाई का रूप दे हमारे पीछे लगा दिया। (-:

शारदा अरोरा August 4, 2009 at 11:42 AM  

बहुत खूब ,अलबेला जी , एहसान हम नहीं आप कर रहें है कवितायें लिख कर और पढ़वा कर | खुद ही कह रहें है रसखान से कम नहीं और खुद ही ये अहसान की बातें ?

राजीव तनेजा August 5, 2009 at 12:50 AM  

सत्य वचन...

शारदा जी की बात से पूर्णत्या सहमत

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