दर्द गर हद से गुज़र जाए तो कुछ आराम हो
ज़िन्दगी अब भी संवर जाए तो कुछ आराम हो
उसने मेरी शायरी में मस्तियां भर दीं मगर
मद मोहब्बत का उतर जाए तो कुछ आराम हो
दर्द-औ-ग़म की तो शफ़ा न मिल सकी लेकिन अगर
टूट कर यह दिल बिखर जाए तो कुछ आराम हो
अन्जुमन में यों तो लाखों पैक़र-ए-अहबाब हैं
अक़्स उसका भी उभर जाए तो कुछ आराम हो
आज तक 'अलबेला' सहते जा रहे हैं हम जिसे
कुछ घड़ी यह ग़म उधर जाए तो कुछ आराम हो
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
11 years ago
3 comments:
kya baat kahi hai guru maan gaye ........sahi hai dard hi dard hai ........kya kahe aaram lagata hai is dour me sirf aaram hi farmaa raha hai ......bahut hi sundar
उसने मेरी शायरी में मस्तियां भर दीं मगर
मद मोहब्बत का उतर जाए तो कुछ आराम हो
बहुत ही उम्दा रचना....
बेहतरीन!!
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