यों आए वो रात ढले
जैसे जल में जोत जले
मन में नहीं यह आस तेरी
चिन्गारी है राख तले
हर रुत में जो हँसते हों
फूलों से वो ज़ख्म भले
वक्त का कोई दोष नहीं
हम ही न अपने साथ चले
आँख जिन्हें टपका न सकी
शे'रों में वे अश्क ढले
_____________________शायर - नरेश कुमार 'शाद'
____________________संकलन - अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
3 comments:
Achchhee hai.
{ Treasurer-TSALIIM & SBAI }
हर रुत में जो हँसते हों
फूलों से वो ज़ख्म भले
वक्त का कोई दोष नहीं
हम ही न अपने साथ चले good lines
नरेश कुमार 'शाद'को पढ़ना अच्छा लगा. आभार आपका.
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