अल्पाहार करते - करते "युवा " की यह टिपण्णी मिली :
yuva June 25, 2009 1:36 AM
Yah achchhi rahi। aajkal bloggers 'do koudi' ko hi bechne men lag gaye hain। Chaliye isse Tiwari ji kee mahtta ka pata to chala. Saath hee prvaasi rachnaakaron ka naam ko baahar lane ka shukriya
पहले इस टिपण्णी पर गौर कर लें फिर आगे बढ़ेंगे....
आदरणीय युवा जी,
मैं बड़ी विनम्रता पूर्वक आपके सन्देश पर हथौड़ा मारना चाहता हूँ _______
पहली बात तो ये कि हम हिन्दी ब्लोगर लोग दो कौड़ी को बेचने में नहीं लगे हैं बल्कि बाहर से जो कूड़ा हमारे आँगन में ज़बरन फैंका गया है वो उसके असली वारिस को लौटा रहे हैं ।
दूसरी बात ये है कि एक मच्छर की महत्ता भी तब ज्ञात होती है जब वह हमें काटता है उसके पहले हम उस पर कहाँ ध्यान देते हैं ...इसलिए उस मच्छर को अपनी महत्ता को ले कर अन्धेरे में नहीं रहना चाहिये।
क्योंकि मच्छर की पहचान होते ही हम कछुआ छाप जला लेते हैं ताकि नाना पाटेकर के अनुसार 'साला एक मच्छर आदमी को ...........बना देता है ' कहीं हम पर ही न चरितार्थ हो जाए।
आपने मेरे ब्लॉग पर आकर टिपण्णी की, मैं आपका हार्दिक धन्यवादी हूँ ....आते रहिएगा, अच्छा लगता है।
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
3 comments:
इसी मच्छर संदर्भ में एक सवाल पेश कर रहा हूं। मुमकिन है जवाब मिलेगा ओबामा ने मक्खी मारी, आप इस घटना को कैसे देखते और महसूस करते हैं ? अलबेला जी के नए नवेले विचार काव्य में आएं तो मन जनमन हो जाएगा।
रलबेला जी हमार ग्यान तो इस विश्य मे नवजात शिशु जैसा है अब क्या कहें
वाह! वाह! क्या मिसाल दी है। मज़ा आ गया
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