ये दुआ कर रहा हूँ तहे-दिल से मैं
हिन्दी ब्लॉगिंग नज़ारों सी रौशन रहे
आ न पाये अन्धेरे का साया कभी
चाँद, सूरज, सितारों सी रौशन रहे
हिन्दी ब्लॉगिंग नज़ारों सी रौशन रहे
आ न पाये अन्धेरे का साया कभी
चाँद, सूरज, सितारों सी रौशन रहे
Labels: मुक्तक
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9 comments:
आपकी दुआ का कबूल होना बहुत ज़रूरी है
क्यूंकि अब तो ये हमारी भी मजबूरी है
AAMIIN
आमीन !
आपकी इस इच्छा में मैं भी दिल से शामिल हूं.वैसे इसे पढ के तो मेरे मुंह से भी आमीन ही निकला था..
ऐसा हो!ऐसा हो! ऐसा ही हो!
उम्मीद तो यही है.
रामराम.
aamin , ye dua to haamari bhi hai bhaijaan.
आओ मिल कर प्रार्थना करें,
आओ मिल कर प्रयत्न करें,
हिंदी ब्लोगिंग को सुरक्षित रखें,
आप और हम मिल कर चलें...
~जयंत
sir jhuka ke dil se mango puri hoti hain dua
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