वासना के रोगियों को
भूख है शरीर की तो
आम जनता को आश्वासन की भूख है
ये वाले हों,चाहे हों वो वाले,
सभी नेताओं को
सत्ता यानी दिल्ली के सिंहासन की भूख है
कवियों को भूख होती
कविता के श्रोताओं की
श्रोताओं को लीडर के भाषण की भूख है
देखा नहीं जाता बन्धु,
कैसी ये विडम्बना है
देश के किसानों घर राशन की भूख है
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
4 comments:
बहुत ही सुन्दर लिखी है आपने ..............ये भूख भी अजीब होती है.पर मिटती नही है.
सही लिखा आपने ..............ये भूख भी अजीब होती है जिसमे सब कुछ मिट जाती है पर भूख नही मिटती.
बिल्कुल सत्य है जी.
रामराम.
देखा नहीं जाता बन्धु,
कैसी ये विडम्बना है
देश के किसानों घर राशन की भूख
--मार्मिक!!
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