तुम हो अन्जाम-ए-वफ़ा मैं प्यार का आगाज़ हूँ
तुम हो कल की दास्ताँ, मैं आज की आवाज़ हूँ
लाखों बाजू मुझपे हावी थे बजाने के लिए
हाय ! लेकिन क्या करूँ ? गर खुरदरा सा साज़ हूँ
ऐ दलालों ! बेच दो मुझको भी तुम बाज़ार में
मैं भी हूँ बशर-ए-वतन मैं भी वतन का राज़ हूँ
खाक़ उसकी ज़िन्दगी पे, लाहनतें उस पर हज़ार
जो मुझे कहता रहा तकदीर का मोहताज़ हूँ
सरफिरे दहशत पसन्दों ने लगाई आग गर
चीर डालूँगा उन्हें , देखो मैं तीरन्दाज हूँ
ज़िन्दगी "अलबेला" तुम ज़िन्दादिली से जीयो तो
मौत भी आकर कहेगी "जीने का अन्दाज़ हूँ "
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
2 comments:
सुंदर!
सरफिरे दहशत पसन्दों ने लगाई आग गर
चीर डालूँगा उन्हें , देखो मैं तीरन्दाज हूँ
ye aada aapakee mujhe khub bhayi .................aapake is post par meri jaan nishar hogayi BHAIYA
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