प्राण की जीवन्तता के लिए काया बहुत ज़रूरी है
भवन की सुदृढ़ता के लिए पाया बहुत ज़रूरी है
कोई माने या न माने लेकिन बात तो सच्ची है
घर में बड़े -बुज़ुर्ग जनों का साया बहुत ज़रूरी है
भवन की सुदृढ़ता के लिए पाया बहुत ज़रूरी है
कोई माने या न माने लेकिन बात तो सच्ची है
घर में बड़े -बुज़ुर्ग जनों का साया बहुत ज़रूरी है
13 comments:
सच्ची बात
इस ब्लॉगजगत में आप सा एक दोस्त ,
इक सरमाया बहुत जरूरी है....
बहुत सच्ची बात कही पर आज कल लोग बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम भेज देते हैं इसलिये बुजुर्ग बन कर रहने से दर लगता है. हम तो जवान ही भले.
रामराम.
bahut achchi kavita hai....
man ko chhu gayi...
kabhi mere blog-www.kavibrijesh.blogspot.com par padhare...
बहुत बढिया लिखा .. बधाई।
बहुत बड़ी बात कह दी साब आपने।इसके बावज़ूद जब बुज़ुर्गो को आश्रम मे देखता हूं तो दिल भर आता है।
बुजुर्गों का साया.............जरूरी.................
बात तो ठीक है पर बुजुर्गों के लिये ।
सब यह याद रखें की बुढापा एक न एक दिन आना ही है
sandesh deti rachana.
बात तो सही है पर युवा-पीढ़ी समझे तब तो!
सत्य वचन, प्रभु!!
मानने से अधिक
गुनने योग्य बात
गुनगुनाना और गुनगुना
अच्छा लगता है
इसलिए बात को भी
गुनें यानी अपनायें
जीवन सफल बनायें
sundar saarthak sandesh bahut bahut dhanyavad
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