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Albela Khatri

बुज़ुर्ग जनों का साया बहुत ज़रूरी है

प्राण की जीवन्तता के लिए काया बहुत ज़रूरी है
भवन की सुदृढ़ता के लिए पाया बहुत ज़रूरी है
कोई माने या न माने लेकिन बात तो सच्ची है
घर में बड़े -बुज़ुर्ग जनों का साया बहुत ज़रूरी है

13 comments:

Anonymous June 22, 2009 at 10:07 PM  

सच्ची बात

अजय कुमार झा June 22, 2009 at 10:34 PM  

इस ब्लॉगजगत में आप सा एक दोस्त ,
इक सरमाया बहुत जरूरी है....

ताऊ रामपुरिया June 22, 2009 at 10:34 PM  

बहुत सच्ची बात कही पर आज कल लोग बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम भेज देते हैं इसलिये बुजुर्ग बन कर रहने से दर लगता है. हम तो जवान ही भले.

रामराम.

Brijesh Dwivedi June 23, 2009 at 12:12 AM  

bahut achchi kavita hai....
man ko chhu gayi...

kabhi mere blog-www.kavibrijesh.blogspot.com par padhare...

संगीता पुरी June 23, 2009 at 12:39 AM  

बहुत बढिया लिखा .. बधाई।

Anil Pusadkar June 23, 2009 at 12:43 AM  

बहुत बड़ी बात कह दी साब आपने।इसके बावज़ूद जब बुज़ुर्गो को आश्रम मे देखता हूं तो दिल भर आता है।

Asha Joglekar June 23, 2009 at 12:43 AM  

बुजुर्गों का साया.............जरूरी.................
बात तो ठीक है पर बुजुर्गों के लिये ।

शरद कोकास June 23, 2009 at 1:02 AM  

सब यह याद रखें की बुढापा एक न एक दिन आना ही है

M Verma June 23, 2009 at 5:56 AM  

sandesh deti rachana.

रविकांत पाण्डेय June 23, 2009 at 7:58 AM  

बात तो सही है पर युवा-पीढ़ी समझे तब तो!

Udan Tashtari June 23, 2009 at 8:32 AM  

सत्य वचन, प्रभु!!

अविनाश वाचस्पति June 23, 2009 at 9:17 AM  

मानने से अधिक
गुनने योग्‍य बात
गुनगुनाना और गुनगुना
अच्‍छा लगता है
इसलिए बात को भी
गुनें यानी अपनायें
जीवन सफल बनायें

निर्मला कपिला June 23, 2009 at 9:28 AM  

sundar saarthak sandesh bahut bahut dhanyavad

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