हर आदमी को अपनी माँ के हाथ की रोटियां पसन्द होती हैं,
मुझे भी है ।
मैंने कल अपनी पत्नी से कह दिया - रोटियां मेरी माँ जैसी बना दिया कर ।
वो बोली - बना दूंगी.............आटा अपने बाप जैसा गूँथ दिया कर _________हा हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
13 comments:
आपने गलत तो नहीं कहा
पर यह तो है सबको पता
कि लत तो लत होती है
लत जल्दी छोड़ देनी चाहिए
नहीं तो आफत बन लेती है।
ha .... ha.... badhiya jokes hai!!!!! agale shaniwaar apne show main shamil karungaa kahoo to aapke upar hi bol dun nahi to main hun hi!!
हम अक्सर ही सच को हवा में उड़ाने के आदि है.
झूंठ क्या कहा ताई ने?:)
रामराम.
हा हा..
तो भईया इस मै बुरा ही क्या है...:)आखिर आधुनिक नारी के भी कुछ आधिकार है, यानि सारा काम बांट कर होना चहिये, आटा आप गुंथे, रोटी वो पकाये, सब्जी आप काटे, बनाये वो, मेज पर समान आप सजाये, खाये वो, फ़िर बरतन आप साफ़ करे सीधी सी बात है..
हा..हा..लेकिन सही है ये.
ha ha ha bahut khoob
अच्छा व्यंग्य है।
:))
बहुत सही कहा!!
उन्होने कुछ गलत तो नहीं कहा,जब सारा जमाना यही कुछ कर रहा है तो फिर आपको करने में काहे की शर्म है..:)
अब ये बताएँ की आपको रोटी मिली या नहीं ?
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