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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

बिखरी है आतिश देखिये ...................

फ़ित्न-- दौरां में हर लम्हा हवादिस देखिये

अब्र से बरसे है हर दम बर्क़ बारिश देखिये


मुज़्तरिब हो, रो पड़ा है हक़ भी हाल--दहर पर

आदमी का हर कदम है एक साजिश देखिये


इस तरफ़ से उस तरफ़ रक्स--क़यामत हो रहा

उस तरफ़ से इस तरफ़ बिखरी है आतिश देखिये


हर दरो-दीवार पर है दाग़--खून--हुर्रियत

गर्दिश--आलम की ये संगीन क़ाविश देखिये


खौफ़ क्या 'अलबेला' तुमको ख़ंजर--शमशीर का

तेग़--नज़र--बशर की अब क्या है ख्वाहिश देखिये

1 comments:

ताऊ रामपुरिया June 17, 2009 at 2:19 PM  

हर दरो-दीवार पर है दाग़-ए-खून-ए-हुर्रियत

गर्दिश-ए-आलम की ये संगीन क़ाविश देखिये


बहुत लाजवाब.

रामराम.

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