हो गया बदरंग आलम, है क़यामत सा समां
हर तरफ़ बिखरी है आतिश, जायें तो जायें कहाँ
धोते हैं अश्कों से अपने यारो ! हम ज़ख्मे-जिगर
क्या ख़बर अहले-ज़ुबां को हो गये हम बे-ज़ुबां
बेदरद -औ -बेमुरव्वत, बेवफ़ा-औ-बेरहम
बेहया-औ-बेशरम सब हो गये अहले-जहाँ
शमा से शोला हुआ दिल शोले से आतिश हुआ
आह ! से इतना जले, अब क्या जला पाये तवां
ठोकरों से रहगुज़र की दर तेरे तक आ गये
अर्ज़ यारब ! तेरे आगे कलम से कर दी बयां
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
3 comments:
बढिया शेर....उम्दा गज़ल
bahut hi sunder.....
bahut hi badhiya BHAI........
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