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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

जायें तो जायें कहाँ ?

हो गया बदरंग आलम, है क़यामत सा समां

हर तरफ़ बिखरी है आतिश, जायें तो जायें कहाँ



धोते हैं अश्कों से अपने यारो ! हम ज़ख्मे-जिगर

क्या ख़बर अहले-ज़ुबां को हो गये हम बे-ज़ुबां



बेदरद - -बेमुरव्वत, बेवफ़ा--बेरहम

बेहया--बेशरम सब हो गये अहले-जहाँ



शमा से शोला हुआ दिल शोले से आतिश हुआ

आह ! से इतना जले, अब क्या जला पाये तवां



ठोकरों से रहगुज़र की दर तेरे तक गये

अर्ज़ यारब ! तेरे आगे कलम से कर दी बयां

3 comments:

राजीव तनेजा June 27, 2009 at 9:13 AM  

बढिया शेर....उम्दा गज़ल

cartoonist anurag June 27, 2009 at 12:11 PM  

bahut hi sunder.....

ओम आर्य June 27, 2009 at 12:44 PM  

bahut hi badhiya BHAI........

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