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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

बांहों में भर ले बलम हरजाई...............

जून की गर्मी , बरखा न आई

तू ही बरस जा बलम हरजाई



ननद निगौड़ी बाज़ न आए

दरवज्जे पर कान लगाए

सरका दे खटिया,

बिछाले चटाई ...............बाहों में भर ले ...........



तू मेरा राजा, मैं तेरी रानी

अब काहे की आना-कानी

काहे का डर

मैं हूँ तेरी लुगाई .............बाहों में भर ले ..........



मेरे दिल का दरद न जाने

मैं जो कहूँ तो बात न माने

बाबुल ने ढूँढा है

कैसा जमाई ..................बाहों में भर ले ............



तेरे ही नाम की बिन्दिया-काजल


झुमका  ,कंगना,बिछुआ,पायल

तेरे ही नाम की

मेंहदी रचाई .................बाहों में भर ले ..............



अपना हो के यूँ न सज़ा दे

प्यासी हूँ मैं मेरी प्यास बुझा दे

मर जाऊंगी वरना

राम दुहाई .....................बाहों में भर ले.................


8 comments:

cartoonist anurag June 29, 2009 at 2:25 PM  

senser ki kainchi na chal jaye albela ji..
bahut sunder...

निर्मला कपिला June 29, 2009 at 3:09 PM  

वाह वाह बहुत सुन्दर

Razi Shahab June 29, 2009 at 3:21 PM  

waah bahut achcha maza aa gaya

ओम आर्य June 29, 2009 at 3:54 PM  

bahut hi sunadar geet hai ..............aapaki rachanaao ka jabaw nahi

राज भाटिय़ा June 29, 2009 at 5:01 PM  

जून की गर्मी , बरखा न आई
चल दुर हट जा बाल्म करजाई
बच्चे बडे हो गये है.
फ़िर भी शर्म ना आये हरजाई

बाबुल ने ढूँढा है

कैसा जमाई ..................बेशर्म जमाई ........
चल दुर हट जा बालम करजाई

अलबेला साहब आप ने कविता तो बहुत सुंदर लिखी लेकिन हमे तो कुछ इस रुप मै सुनने को मिलती है यह कविता
धन्यवाद

Sajal Ehsaas June 29, 2009 at 5:42 PM  

garmee pe jab log is kadar kavitaaye likh rahe hai to lagta hai ab garmee ka bhi lutf uthaana mumkin ban chukaa hai...ek kavi har baat ka mazaa le saktaa hai :)

Murari Pareek June 29, 2009 at 6:56 PM  

भई जून की गर्मी मैं बाहें फैला कर गले लगाना रास आया !! लोहे को लोहा काटता है !!

Udan Tashtari June 29, 2009 at 11:01 PM  

ये रंग और गरमी के संग..बहुत खूब!!

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