ऐ मेरी ज़िन्दगी तू कहाँ खो गई ?
शायरी भी मेरी अब जवां हो गई
जल रही है ज़मीं जल रहा आसमां
क़ायनात-ए-तमाम पुर-तवां हो गई
हर शहर हर मकां मौतगाह बन गया
हर निगाहो - नज़र खूंफ़िशां हो गई
तौबा-तौबा ख़ुदा ! लुट गए - लुट गए
आज घर- घर यही दास्ताँ हो गई
ईश्वर ! रहम कर हाल पे हिन्द के
रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई
जल न जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया
अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई
शायरी भी मेरी अब जवां हो गई
जल रही है ज़मीं जल रहा आसमां
क़ायनात-ए-तमाम पुर-तवां हो गई
हर शहर हर मकां मौतगाह बन गया
हर निगाहो - नज़र खूंफ़िशां हो गई
तौबा-तौबा ख़ुदा ! लुट गए - लुट गए
आज घर- घर यही दास्ताँ हो गई
ईश्वर ! रहम कर हाल पे हिन्द के
रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई
जल न जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया
अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई
15 comments:
अत्यंत दारुण !! अब तो आबो हवा अतिशां हो गई!
क्या बात है अलबेला जी सभी शेर एक से बड कर एक.
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
kya kahun shabda undnchoo ho gaye hai.........aap itan kuchh likhate ho ki aapki kawitaaye jindgi ke har ek pahlu ko chooti hai.....natamastak
जिंदगानी के अनुभवों का सुंदर बयान।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
जल न जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया
अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई
बहुत मार्मिक रचना.
रामराम.
वाह !! बहुत बढिया लिखा।
Waah ! Waah ! Waah ! Kya kamal kee abhivyakti hai....
Dil ko chhoo gayi rachna...Waah !!
अब तो आबोहवा बदलना ही चाहिए
जल न जाऊं कहीं 'अलबेला' डर गया
अब तो आबो - हवा आतिशां हो गई
--बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं!!
wahwa.......
क्या बात है albelaa जी.......... लाजवाब लिखा है .... सब शेर नए अंदाज़ को bayaan करते हैं
Mere paas alfaaz nahee...itnaa utsfurt likha gaya hai aapse...!
Lagta hai, maano, ekhee baar qalam uthayi,aur rachna pooree karke rakhee...!
http://kavitasbyshama.blogspot.com
रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई।
रात भी ढल गई और सुबहा हो गई।
सारे अरमान दिल में दबे रह गये।
एक झोंके में तारे किले ढह गये।।
Kalam ko bejuban mat banaiye Albela ji.....Ye agar bejuba ho gai...to sannate ko todna bahut muskil hoga
albela ji ,
deri se aane ke liye maafi chahunga ..
aapki is gazal ne to bahut gahra asar choda hai mujh par ...
ईश्वर ! रहम कर हाल पे हिन्द के
रोते - रोते कलम बेज़ुबां हो गई
waah waah .. sir , aapki kalam ko naman..
bahut hi zordaar pankhtiyan..
badhai sweekar kariye..
vijay
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