वाहनों में लुटती है
आबरू जहाँ पे यारो
दफ़्तर में घुस के क़तल किया जाता है
पटना,निठारी जहाँ
नन्हे-नन्हे मासूमों को
रौन्द दिया जाता है मसल दिया जाता है
फँसते हैं नेता जब
कानून के घेरे में तो
क़ानून पे क़ानून बदल दिया जाता है
मेरा देश वही है
जहाँ पे रात दिन बन्धु
मार-काट-लूट-चोरी-छल किया जाता है
6 comments:
हमारे देश और समाज की तस्वीर कितनी विकृत हो चुकी है, उसका सही आंकलन है यह कविता.....बधाइयां जी.....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
सच कहा आपने....
बहुत खूब कहा है, नेताओं के लिए कानून बदल दिए जाते हैं, कानून तो मजलूम गरीबों पर लागु होते हैं !!
इतना भी बुरा हाल नही है। कुछ अच्छे लोग जैसे आप,हम और दूसरे ब्लागर भाई भी तो इसी देश मे रहते है और अच्छे कामो मे लगे हुये हैं।वैसे हालत चिंताज़नक ज़रूर है और सुधरने के हालात भी नज़र नही आते।आप जैसे लोगो को ही सामने आना पड़ेगा।
आज तो यही हालात है.
रामराम.
aapki yeh rachna bahut hi sunder hai...
is rachna par mera ek cartoon bahut hi male kh raha hai...
jaroor dekhen........BAP RE.....
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