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Albela Khatri

शेफाली ने खीर बनाई लेकिन कपिला नहीं खा पाई

निर्मला कपिलाजी हल्द्वानी गईं तब शेफाली पाण्डेजी की मेहमान बनीं । शेफालीजी

ने कपिलाजी के लिए अपने हाथों से खीर बनाई ( सब हाथों से ही बनाते हैं ) लेकिन जैसे ही

कपिलाजी के आगे परोसी, कपिलाजी ने चम्मच भरा और नीचे डाल दिया , फ़िर चम्मच भरा,

नीचे डाल दिया ...जब कई चम्मच खीर नीचे डाली जा चुकी तो शेफालीजी से रहा न गया ।




वे बोली - कपिलाजी , खीर आपके खाने के लिए बनाई है, फ़र्श सींचने के लिए नहीं ।


कपिलाजी - हाँ लेकिन खाऊं कैसे ....खीर में चींटी है ...और निकल भी नहीं रही है....


शेफालीजी - निकलेगी कैसे ? चींटी खीर में नहीं, आपके चश्मे पर है ..........हा हा हा हा हा

हा हा

14 comments:

Udan Tashtari June 26, 2009 at 8:13 PM  

हा हा!! बहुत मजेदार!

शेफाली पाण्डे June 26, 2009 at 8:13 PM  

sarasar galat ilzaam....
albela jee maine aaj tak chai tak to banaee nahi kheer kee baat to alag rahee ....
yakeen naa aae to apne pati se baat karva doon?
vaise kheer se yaad aaya ..
kheer pakai jatan se
charkha diya chala
aaee cheentee kha gaee
main baithee dhol baja.... ha ha ha

Anonymous June 26, 2009 at 8:47 PM  

खीर की बात सुन हम जैसे चींटे भी आ गये यहाँ :-)

अजय कुमार झा June 26, 2009 at 8:54 PM  

बाप रे किसी को अचार मे तो किसी को खीर मे लपेट कर सब को घेर रहे है आप …हा हा हा …।

सर्वत एम० June 26, 2009 at 9:04 PM  

शेफाली जी ने तो बता दिया की उन्होंने खीर नहीं बनायी पर कपिला जी भी कुछ कहें तब हम अलबेला खत्री जी की चश्मदीद गवाही पर विचार करेंगे

संगीता पुरी June 26, 2009 at 9:11 PM  

हा हा हा हा !!!!

Ashok Pandey June 26, 2009 at 9:42 PM  

बढि़या रहा... :)

दिनेशराय द्विवेदी June 26, 2009 at 9:45 PM  

सबक- भोजन ऐनक उतार कर करना चाहिए।

ताऊ रामपुरिया June 26, 2009 at 9:57 PM  

बहुत बढिया रहा.

रामराम.

Anonymous June 26, 2009 at 10:10 PM  

खीर .... कहाँ है खीर....!!!

रंजन June 27, 2009 at 12:28 AM  

अकेले अकेले...

Anil Pusadkar June 27, 2009 at 8:56 AM  

देख रहे हो अलबेला भाई।शेफ़ाली जी बता रही है उन्होने चाय तक़ नही बनाई,बताओ इसके बाद भी लोग कहते हैं पति पत्नियों पर ज़ुल्म ढाते हैं।ऐसा मैने सिर्फ़ सुना भर बस है,क्योंकि अपन अभी भी आज़ाद हैं।

गिरिजेश राव, Girijesh Rao June 27, 2009 at 9:22 AM  

अच्छी खिंचाई की आप ने। सभी ब्लॉगरों को आप से डर कर रहना चाहिए।

शेफाली पाण्डे June 27, 2009 at 5:36 PM  

anil je.....darne kee baat nahi ...pati hamare fir bhi prasanna rahte hain ....kyunki hum unhen hansgulle bana bana ke khilate rahte hain ....ha ha ha ha

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