निर्मला कपिलाजी हल्द्वानी गईं तब शेफाली पाण्डेजी की मेहमान बनीं । शेफालीजी
ने कपिलाजी के लिए अपने हाथों से खीर बनाई ( सब हाथों से ही बनाते हैं ) लेकिन जैसे ही
कपिलाजी के आगे परोसी, कपिलाजी ने चम्मच भरा और नीचे डाल दिया , फ़िर चम्मच भरा,
नीचे डाल दिया ...जब कई चम्मच खीर नीचे डाली जा चुकी तो शेफालीजी से रहा न गया ।
वे बोली - कपिलाजी , खीर आपके खाने के लिए बनाई है, फ़र्श सींचने के लिए नहीं ।
कपिलाजी - हाँ लेकिन खाऊं कैसे ....खीर में चींटी है ...और निकल भी नहीं रही है....
शेफालीजी - निकलेगी कैसे ? चींटी खीर में नहीं, आपके चश्मे पर है ..........हा हा हा हा हा
हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
14 comments:
हा हा!! बहुत मजेदार!
sarasar galat ilzaam....
albela jee maine aaj tak chai tak to banaee nahi kheer kee baat to alag rahee ....
yakeen naa aae to apne pati se baat karva doon?
vaise kheer se yaad aaya ..
kheer pakai jatan se
charkha diya chala
aaee cheentee kha gaee
main baithee dhol baja.... ha ha ha
खीर की बात सुन हम जैसे चींटे भी आ गये यहाँ :-)
बाप रे किसी को अचार मे तो किसी को खीर मे लपेट कर सब को घेर रहे है आप …हा हा हा …।
शेफाली जी ने तो बता दिया की उन्होंने खीर नहीं बनायी पर कपिला जी भी कुछ कहें तब हम अलबेला खत्री जी की चश्मदीद गवाही पर विचार करेंगे
हा हा हा हा !!!!
बढि़या रहा... :)
सबक- भोजन ऐनक उतार कर करना चाहिए।
बहुत बढिया रहा.
रामराम.
खीर .... कहाँ है खीर....!!!
अकेले अकेले...
देख रहे हो अलबेला भाई।शेफ़ाली जी बता रही है उन्होने चाय तक़ नही बनाई,बताओ इसके बाद भी लोग कहते हैं पति पत्नियों पर ज़ुल्म ढाते हैं।ऐसा मैने सिर्फ़ सुना भर बस है,क्योंकि अपन अभी भी आज़ाद हैं।
अच्छी खिंचाई की आप ने। सभी ब्लॉगरों को आप से डर कर रहना चाहिए।
anil je.....darne kee baat nahi ...pati hamare fir bhi prasanna rahte hain ....kyunki hum unhen hansgulle bana bana ke khilate rahte hain ....ha ha ha ha
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