हम सब के चहेते समीर लाल जी अपने परिवार सहित
उड़न तश्तरी में यात्रा कर रहे थे । यों ही मज़ाक के मूड में
भाभीजी ने पूछा - क्योंजी, एक बात तो बताइये...
समीरजी - पूछिए ...
भाभीजी - कल्पना करो.... कि गधे के सामने पानी भी है
और शराब भी...बताओ वो क्या पीयेगा ?
समीरजी - इसमे कल्पना करने की क्या ज़रूरत है,
अलबेला खत्री के सामने रख के ही देख लो ...वो पानी पीयेगा ....
गधा है न , गधा ही रहेगा......हा हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
19 comments:
जो खुद पर नहीं हँस सकता वह औरों को नहीं हँसा सकता। आप इसी लिए हास्य व्यंग्य कलाकार हैं।
बहुत खूब........
हा..हा...हा...
ye kya kiya khud ki tulna gadhe se...
aap khud doosron ko gadha bana dete hain...
vishwas nahi ho to kabhi dekh lijiyega... jo log aapki rachna padte hain...uske baad has-haskar gadhe ki tarah lot lagate hain...
ek batt aour albela ji
agli baar sigret par koi cartoon banaooga to chehra aapka hi hoga.... ye mera vada hai....
बढिया .. अपने उपर भी व्यंग्य !!
बहुत सुन्दर. आभार.
छा गये गुरु.:)
रामराम.
वाह हास्य गुरु खुद को भी नहीं बख्शा ! हा..हा..हा..हा ................................
पर ये तो बता दीजिए खत्री जी क्या पीयेंगे? बात गोल क्यो कर रहे है. ह -- हा
:)
भाई बहुत सुंदर, मजा आ गया..........
हा..हा..हा..सच बात तो यह है कि हास्य व्यंगकार वही है जो स्वयं पर हंस सकता है.
दीपक भारतदीप
आपको टी० वी० पर भी देखा था, यहाँ भी पढ़ता हूँ. मुझे लगता है आप को कविता की समझ हास्य से ज्यादा है.
wah jee wah....
अपने ऊपर हंसकर जग को हँसाने वाला ही असली हास्य कवि है !!
क्या बात है अलबेला जी!!
बहुत बढिया!!
लेकिन शराब और पानी मे से हमें भी कुछ चुनना पड़ता तो हम भी आपके साथ ही खडे़ नजर आते........यहाँ और भी बहुत होगें......जो हमारी तरह ही हैं....।;))
लल्लो कल्लो बात..गोया इस हिसास से तो हम भी गधे हुए...वाह अलबेला जी..इस हिसाब से भी हुए न भाई भाई...
अच्छा अलबेला जी,समीर जी और आप कौन सी भाषा बोल रहे है आजकल जिसमे शराब को पानी और पानी को शराब कहा जाता है।
अरे, ये क्या हुआ..कल फ्लाईट में तो अलबेला की जगह कुछ और ही पढ़ा था..खैर, गुरु पानी पिओ..हम तो अपना गिलास बनाते हैं. हा हा!!
हा हा हा हा
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