फिर गर्दन न आए अपनी गैर मुल्क़ के हाथों में
हो न जाये टुकड़े भारत के बातों ही बातों में
जुदा हुआ गर भाई - भाई खानदान फ़िर रहा कहाँ
जुदा हुए कश्मीर-असम तो हिन्दुस्तां फिर रहा कहाँ
मिल-जुल बीते सफ़र हमारा, ऐसी कोई राह बनाओ
हाथ से हाथ मिला के यारो वतन को चमन बनाओ
ख़ुद अपने ही हाथों से न घर में आग लगाओ
'अलबेला' इस गुलशन में अब अमन के फूल खिलाओ
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
3 comments:
आवाह्न की अनुभूतियों को संजोती सुन्दर रचना
जुदा हुआ गर भाई - भाई खानदान फ़िर रहा कहाँ
जुदा हुए कश्मीर-असम तो हिन्दुस्तां फिर रहा कहाँ
वाह वाह देश प्रेम का ऐसाजज़्वा और प्रेरक कविता के लिये धन्यवाद बधाई
बहुत प्रेरक रचना.
रामराम.
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