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Albela Khatri

अब अमन के फूल खिलाओ ...................

फिर गर्दन आए अपनी गैर मुल्क़ के हाथों में

हो जाये टुकड़े भारत के बातों ही बातों में


जुदा हुआ गर भाई - भाई खानदान फ़िर रहा कहाँ

जुदा हुए कश्मीर-असम तो हिन्दुस्तां फिर रहा कहाँ


मिल-जुल बीते सफ़र हमारा, ऐसी कोई राह बनाओ

हाथ से हाथ मिला के यारो वतन को चमन बनाओ


ख़ुद अपने ही हाथों से घर में आग लगाओ

'अलबेला' इस गुलशन में अब अमन के फूल खिलाओ

3 comments:

M VERMA June 26, 2009 at 7:34 AM  

आवाह्न की अनुभूतियों को संजोती सुन्दर रचना

निर्मला कपिला June 26, 2009 at 8:23 AM  

जुदा हुआ गर भाई - भाई खानदान फ़िर रहा कहाँ

जुदा हुए कश्मीर-असम तो हिन्दुस्तां फिर रहा कहाँ
वाह वाह देश प्रेम का ऐसाजज़्वा और प्रेरक कविता के लिये धन्यवाद बधाई

ताऊ रामपुरिया June 26, 2009 at 9:51 AM  

बहुत प्रेरक रचना.

रामराम.

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