कल राजधानी एक्सप्रेस में एक कमाल की घटना घटी
____________हालाँकि एक बात मेरी समझ में आज तक नहीं आई कि घटना हमेशा घटती ही क्यों है, बढती क्यों नहीं ? जब कि घटना का होना घटनाक्रम में वृद्धि करता है ....यानी हर नई घटना वास्तव में बढती है घटती नहीं लेकिन विद्वान् लोग मानने को तैयार नहीं कि बढ़ी, वे तो बस घटी ही कहते हैं ........खैर जाने दो ..ये कहानी फ़िर सही.............
तो साहेब घटना ये घटी कि जैसे ही मैं खा -पी कर सोया , ताऊ रामपुरियाजी लट्ठ ले के सपने में आ गए । बोले - उट्ठ ! कविता सुना । मैं बोला - जी फोकट में मैं किसी को गाली भी नहीं सुनाता, आप कविता की बात करते हैं ..... ताऊ बोले - कैसे नहीं सुनाएगा, यो लट्ठ देख्या है के ? मैं बोला - ताउजी, मैं लट्ठ देख कर नहीं, रिज़र्व बैंक के प्रमाणपत्र देख कर प्रभावित होता हूँ ।
ताऊ बोले - अच्छा? कितना पैसा लेता है कविता सुनाने का ?
मैं बोला - ताउजी , नज़दीक कहीं जाना हो तो 15-16 हज़ार और दूर कहीं जाना हो तो 25 से 35 हज़ार ।
बोले - बस ? ये पैमेन्ट तो बहुत ही घटिया है ।
मैंने कहा - घटिया तो होना ही है, मैं कविता ही कौनसी बढ़िया सुनाता हूँ ......हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
16 comments:
वाह क्या बात कह दी आपने .........अपने उपर हसना मुश्किल काम हो ता है ................
ताऊ जी तो फिर रस्ते लग लिए होंगे!!!
कविता बढि़या हो या घटिया
सुन ले ताऊ जी रामपुरिया
बढि़या पेमेन्ट बतलाने में है खतरा
और खत्री अलबेला है नहीं सिरफिरा
इंकम टैक्स वाले आयेंगे देखना
कविता भी सुनेंगे बढि़या और
सारी पेमेन्ट समेट ले जाएंगे
बढि़या हो या घटिया
इसलिए मित्र अलबेलिया
घटना चाहे बढ़ना हो
घटती ही है नहीं बढ़ती।
ये परमीशन तो मिशन लागे है
जितना मन को जमेगा
उतना ही दिखलायेंगे
पेमेन्ट ज्यादा मिले
पर
कम ही बतायेंगे
यह भी तो घटना ही है।
अलबेला जी घटना है तो घटेगी ही बढ तो नही सकती है क्योकि जब आप घटना = घट + ना कहते है तो घटने को ही कहते है.
रही बात ताऊ की तो एकाध कविता सुना ही देते तो कम से कम दुबारा तो सुनाने को नही कहते.
भाई कम से कम सपने तो अच्छे देखा करो...क्या रातें आ गयीं हैं आपकी... सपने में ताऊ आन लाग रहे हैं...च च च च च...:))
नीरज
भाई खत्रीजी आप कविता घटिया सुनाते हैं या बढिया? और पेमेंट कौन सा लेते हैं? यह तो मुझे मालूम है.
आपने देखा होगा कि सपने मे मेरे साथ एक आदमी और भी था ना? तो वो आदमी था ईंकमटेक्स कमिश्नर.
मुझे उसने कहा था कि ताऊ ये अलबेला खत्री की सही सही जानकारी निकालो...दस प्रतिशत तुम्हारा कमीशन पक्का.
वो तो गनीमत है कि आपने बात संभाल ली. आजकल ताऊ सपनों मे आकर सब कुछ पता कर लेता है.:)
रामराम.
ताऊ को ऐसे ही जबाब मिलते रहे तो चल चुकी उसकी ताऊगिरि. उसे मना किया था कि अपने से बड़े ताऊ को मत घेरा कर. :)
वैसे सपने में ताऊ आने लग गये....?? :)
अलबेले की अलबेली बात,
बहुत खूब।
हा...हा...हा...।
आज तक ताऊ की शिनाख्त नहीं हो पायी है। आप पहचान पाए क्या? या अगला अंधेरे का लाभ फिर उठा गया ?
अलबेला जब सपने में आ ही गए थे ..तो पूछ लेते के अगली पहेली में कौन सी फोटू चेपेंगे....ताऊ बनने का जुगाड़ हो जाता....चलो इससे बहाने आपकी फीस पता लग गयी....हा..हा..हा..
लो ताऊ ने तो साथ में इनकम टैक्स ऑफिसर को लाकर आपका राज़ तो खोल दिया.
ताऊ के नहले पे अलबेला का दहला।
चमचागिरी करने का तुम्हारा ये स्टाईल बडा लाजवाब है भईया!!!!!!!
waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah
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