अंग-अंग में तरंग
उठती है बिजली सी
आँखों में उतरता है खून मेरे साथियो
घीसूभाई नाई की
दूकान पे जो देखता हूँ
लिखा हुआ कटिंग सैलून मेरे साथियो
माता ममी हो गई हैं
पिता डैड हो चुके हैं
सूर्य -चन्द्र हुए सन-मून मेरे साथियो
देवनागरी धरा से
किस दिन उतरेगा
अंगरेजी भाषा का जूनून मेरे साथियो
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
बहुत खूब अलबेला भाई। सटीक निशाना है।
गर्मी को बैशाख के बदले
कहते हैं अब जून साथियो।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
भाई हम लोग लगे तो हैं, किसी दिन तो सबेरा होगा..धीरज मोटी बात छे. पर सतत प्रयास जरुरी है.
रामराम.
हिंदी को तो अपनों ने ही लूटा है...
bahut badia.....
bahut badia.....
bahut badia.....
सटीक सवाल!
bahut hi accha likha hai aapne..apni maatra bhasha ko hamne apne hi ghar mein gumnaam bana diya hai..
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