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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

अंगरेजी भाषा का जूनून ...................

अंग-अंग में तरंग

उठती है बिजली सी

आँखों में उतरता है खून मेरे साथियो



घीसूभाई नाई की

दूकान पे जो देखता हूँ

लिखा हुआ कटिंग सैलून मेरे साथियो



माता ममी हो गई हैं

पिता डैड हो चुके हैं

सूर्य -चन्द्र हुए सन-मून मेरे साथियो



देवनागरी धरा से

किस दिन उतरेगा

अंगरेजी भाषा का जूनून मेरे साथियो

8 comments:

श्यामल सुमन June 14, 2009 at 11:50 AM  

बहुत खूब अलबेला भाई। सटीक निशाना है।

गर्मी को बैशाख के बदले
कहते हैं अब जून साथियो।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

ताऊ रामपुरिया June 14, 2009 at 12:24 PM  

भाई हम लोग लगे तो हैं, किसी दिन तो सबेरा होगा..धीरज मोटी बात छे. पर सतत प्रयास जरुरी है.

रामराम.

अनुवादक संघ June 14, 2009 at 2:47 PM  

हिंदी को तो अपनों ने ही लूटा है...

cartoonist anurag June 14, 2009 at 5:12 PM  

bahut badia.....

cartoonist anurag June 14, 2009 at 5:13 PM  

bahut badia.....

cartoonist anurag June 14, 2009 at 5:15 PM  

bahut badia.....

Udan Tashtari June 15, 2009 at 10:06 PM  

सटीक सवाल!

Priyanka Singh Mann June 16, 2009 at 12:53 PM  

bahut hi accha likha hai aapne..apni maatra bhasha ko hamne apne hi ghar mein gumnaam bana diya hai..

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