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Albela Khatri

फूलों का हार देवनागरी ...............

भीनी-भीनी मीठी-मीठी

मधुर सुगन्ध लिए

साहित्य विहार में बहार देवनागरी


बिखरी अनेकता को

एकता में जोड़ती है

तार-तार से जुडी सितार देवनागरी


नेताजी-पटेल-गाँधी-

भगत-उधम जैसे

क्रान्तिकारियों की तलवार देवनागरी


तुलसी-कबीर-बाबा

कामिल-रहीम-मीरा

भारतेन्दु से फूलों का हार देवनागरी

11 comments:

ओम आर्य June 14, 2009 at 11:51 AM  

बहुत बढिया

श्यामल सुमन June 14, 2009 at 11:58 AM  

देश की सारी
जनता का भी
भावों का श्रृंगार देवनागरी।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

M Verma June 14, 2009 at 12:04 PM  

devnagari to vastav me talwar kee dhar rakhati hai.
devnagari kee mahima ko bakhubi darshaya hai aapne.

राज भाटिय़ा June 14, 2009 at 3:46 PM  

हम सब की पहचान है
यह देवनागरी.
बहुत सुंदर.
धन्यवाद

Puneet Bhardwaj June 14, 2009 at 4:23 PM  

सर, बेहतरीन

जैसे माँ पर साजे बिंदी
वैसे मुख की शोभा हिंदी

लगे रहिए...

ताऊ रामपुरिया June 14, 2009 at 7:41 PM  

बहुत सही लिखा.

रामराम.

दिनेशराय द्विवेदी June 14, 2009 at 8:40 PM  

नागरी वह लिपि है जिस में दुनिया की कोई भाषा लिखी जा सकती है।
सुंदर कविता।

प्रिया June 14, 2009 at 8:43 PM  

hindi bhasha par ye choti rachna .achchi lagi

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` June 14, 2009 at 10:36 PM  

देवनागरी का यह प्रशस्ति गान पसँद आया
- लावण्या

Udan Tashtari June 15, 2009 at 10:05 PM  

हमें देवनागरी पर गर्व है.

जय हो!!

सुन्दर रचना!!

Priyanka Singh Mann June 16, 2009 at 1:37 PM  

bahut hi accha..apni bhasha par hum sabhi ko yahi garv hona chahiye..antim teen panktiyaan bahut sundar hain !

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