अक़्स-ए-सावन उभरना है बाकी अभी
रुत का सजना, संवरना है बाकी अभी
उनकी क़ातिल अदाओं का दिल में मेरे
दशना बन के उतरना है बाकी अभी
उनकी गलियों से तो कल गुज़र आए हैं
अपनी हद से गुज़रना है बाकी अभी
उनके आने के झूठे भरम का ऐ दिल !
टूटना और बिखरना है बाकी अभी
जल्दबाजी न कर 'अलबेला' इस कदर
उनका इज़हार करना है बाकी अभी
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
7 comments:
क्या बात है!
अक़्स-ए-सावन उभरना है बाकी अभी
रुत का सजना, संवरना है बाकी अभी
बहुत बढ़िया मनभावन रचना बधाई.
jab sab kuch baaki hi hai to ab tak kahan the aap ?????
mazaak hai baba !!
उनकी गलियों से तो कल गुज़र आए हैं
अपनी हद से गुज़रना है बाकी अभी
bahut khoobsurat....
उनके इज़हार का हमे भी है इंतज़ार्।
बहुत लाजवाब रचना.
रामराम.
टूटना और बिखरना तो लगा रहता है
हाँ उट्ठे तो कोई आवाज़ अभी बाकी है
फिर मिलेंगे , मिलते रहेंगे .........एक रह के ही रही हैं .
thoda intajar kar lena aawshyaka hai ............intajaar fal mitha hota hai............
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