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Albela Khatri

उसी की जेब से पौव्वा निकला ..............

छोटी सी बात का बड़ा हौव्वा निकला

हंस जिसे समझे थे वो कौव्वा निकला

रोज़ हमको देता था नसीहत पीने की

आज उसी की जेब से पौव्वा निकला
_______________________हा हा हा हा हा हा
____________________________________________
यह मुक्तक एक ट्रक के पीछे लिखे वाक्य से प्रेरित होकर लिखा इसलिए अपना मौलिक नहीं, थोड़ा थोड़ा चोरी का माल भी शामिल है ...हा हा हा हा

2 comments:

समय चक्र June 7, 2009 at 9:34 PM  

बहुत खूब पौआ और कौआ क्या बात है .

Udan Tashtari June 8, 2009 at 5:54 AM  

चोरी ी चलेगी मगर वो पव्वा है कहाँ जो निकला था..बैठक जमाई जाये. :)

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