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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

आदमी को आदमी से प्रीत हो

अधर-अध मधुर-मधुर गीत हो

और वातावरण में संगीत हो


हे प्रभु ! तेरे बनाये जगत में

आदमी को आदमी से प्रीत हो


नाश हो अधर्म का पाखण्ड का

धर्म के ध्वज की सदैव जीत हो


शत्रुता में 'अलबेला' धरा है क्या ?

जग में जो भी हो, हमारा मीत हो


3 comments:

Udan Tashtari June 8, 2009 at 7:45 AM  

बहुत बेहतरीन!!

निर्मला कपिला June 8, 2009 at 11:17 AM  

बहुत सुन्दर गीत है सच मे आज इसीआआशीर्वाद की जरूरत है भगवान से शुभकामनायें

vijay kumar sappatti June 9, 2009 at 4:11 PM  

bhai

bahut hi sundar geet , in fact agar aadmi ko aadmi se preet ho jaaye to phir baat hi kya .. waaaaaaaaaaaah

badhai

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