अधर-अधर मधुर-मधुर गीत हो
और वातावरण में संगीत हो
हे प्रभु ! तेरे बनाये जगत में
आदमी को आदमी से प्रीत हो
नाश हो अधर्म का पाखण्ड का
धर्म के ध्वज की सदैव जीत हो
शत्रुता में 'अलबेला' धरा है क्या ?
जग में जो भी हो, हमारा मीत हो
और वातावरण में संगीत हो
हे प्रभु ! तेरे बनाये जगत में
आदमी को आदमी से प्रीत हो
नाश हो अधर्म का पाखण्ड का
धर्म के ध्वज की सदैव जीत हो
शत्रुता में 'अलबेला' धरा है क्या ?
जग में जो भी हो, हमारा मीत हो
3 comments:
बहुत बेहतरीन!!
बहुत सुन्दर गीत है सच मे आज इसीआआशीर्वाद की जरूरत है भगवान से शुभकामनायें
bhai
bahut hi sundar geet , in fact agar aadmi ko aadmi se preet ho jaaye to phir baat hi kya .. waaaaaaaaaaaah
badhai
Post a Comment