गोवर्धन धारी की दुलारी गौ माँ
साधुसन्तों मुनियों की प्यारी गौ माँ
ममता की मृदु फुलवारी गौ माँ
पर्यावरण की रखवारी गौ माँ
मानव पे सदा उपकारी गौ माँ
कदम-कदम सुखकारी गौ माँ
हाय ! फिर भी है दु:खियारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
गौ माता का दूध अमृत समान है
गोबर और मूत्र भी गुणों की खान है
रक्तचाप, मधुमेह, ज्वर, अस्थमा
कैन्सर जैसे रोग का ये करे खात्मा
गौ मूत्र से बड़ा एन्टी बायटिक नहीं है
गौ से ज़्यादा कोई स्वास्थ्यदायक नहीं है
हृदय रोग में भी गुणकारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
न केवल गौ-रक्षा का नारा दीजिये
न केवल मुंह से ही जैकारा कीजिये
दूध जिसका पीया उसे चारा दीजिये
बेसहारा प्राणी को सहारा दीजिये
अहिंसा का बुलन्द सितारा कीजिये
गौ हत्या करने वालों को कारा दीजिये
देखो कैसे रो रही बेचारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
कातर निगाहें हमें देख रही हैं
आँसू भरी आँखें हमें देख रही हैं
चीखें और आहें हमें देख रही हैं
फैली हुई बाँहें हमें देख रही हैं
हम चारा-पानी का प्रबन्ध करेंगे
बूचड़खानों में गौ वध बन्द करेंगे
हमें ही बचानी है हमारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
जय हिन्द
अलबेला खत्री
साधुसन्तों मुनियों की प्यारी गौ माँ
ममता की मृदु फुलवारी गौ माँ
पर्यावरण की रखवारी गौ माँ
मानव पे सदा उपकारी गौ माँ
कदम-कदम सुखकारी गौ माँ
हाय ! फिर भी है दु:खियारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
गौ माता का दूध अमृत समान है
गोबर और मूत्र भी गुणों की खान है
रक्तचाप, मधुमेह, ज्वर, अस्थमा
कैन्सर जैसे रोग का ये करे खात्मा
गौ मूत्र से बड़ा एन्टी बायटिक नहीं है
गौ से ज़्यादा कोई स्वास्थ्यदायक नहीं है
हृदय रोग में भी गुणकारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
न केवल गौ-रक्षा का नारा दीजिये
न केवल मुंह से ही जैकारा कीजिये
दूध जिसका पीया उसे चारा दीजिये
बेसहारा प्राणी को सहारा दीजिये
अहिंसा का बुलन्द सितारा कीजिये
गौ हत्या करने वालों को कारा दीजिये
देखो कैसे रो रही बेचारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
कातर निगाहें हमें देख रही हैं
आँसू भरी आँखें हमें देख रही हैं
चीखें और आहें हमें देख रही हैं
फैली हुई बाँहें हमें देख रही हैं
हम चारा-पानी का प्रबन्ध करेंगे
बूचड़खानों में गौ वध बन्द करेंगे
हमें ही बचानी है हमारी गौ माँ
संकट में आज है हमारी गौ माँ
जय हिन्द
अलबेला खत्री
6 comments:
बहुत सुंदर कविता.
धन्यवाद
सत्य १००% सत्य लिखा है............ यह हमारा दुर्भाग्य है की ६२ साल की आजादी के बाद भी हम गोहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सके.............. शर्म की बात है
bilkul sahi likha hai aapne ..
itna kuch hote huye bhi gau maa khatre me hai.
pratyek vyakti ko apni or se unhe bachane k liye kadam uthana hoga..
last para is really very nice..
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
नैतिकता का यह तकाजा है कि जिनके कारण हम जिए, सभ्य हुए,जीते जा रहे और सभ्य हुए जा रहे हैं, उनका सम्मान और सुरक्षा करें। गाय ही क्यों बहुत प्रकार के ढोर इस श्रेणी में आते हैं। प्रश्न यह है कि व्यावहारिक तरीका क्या हो, जब उनका उपयोगी समय समाप्त हो जाय? खुला छोड़ देना या वध के लिए बेंच देना तो कदापि नहीं !
albela ji
aapki is kavita ke liye main aapko salaam karunga
waaaaaaah sir ji naman hjai aapko
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