भारत की शासन व्यवस्था नित नित करे कमाल
छ: महीने की क़ैद सुनाने में लग गए छ: साल
भाई-चारे की इससे पुख्ता और मिसालें क्या दूँ?
पूछ रहा है थाने जा कर चोर पुलिस का हाल
छ: महीने की क़ैद सुनाने में लग गए छ: साल
भाई-चारे की इससे पुख्ता और मिसालें क्या दूँ?
पूछ रहा है थाने जा कर चोर पुलिस का हाल
3 comments:
"छ: महीने की क़ैद सुनाने में लग गए छ: साल"..........
Arrrre gazab!!!! Ek pankti men aapne kitanaa kuchh kah diya..
Maan gaye aapko.
वाह अलबेला जी............क्या सच को लिखा है... हास्य और व्यंग में........... मजा आ गया
इसे कहते है हास्य-व्यंग्।
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