ज़िन्दगी इक इल्म है, सुपर डुपर फ़िल्म है
देखूँगा,दिखलाऊंगा ....गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी असहाय है, व्यय अधिक कम आय है
फिर भी काम चलाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी इक कीर है, सुख व दु:ख ज़ंजीर है
तोड़ इसे उड़ जाऊँगा...गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी अभिषेक है, मन्दिर- मस्जिद एक हैं
सब पर शीश झुकाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी शृंगार है, दोस्ती है ..प्यार है ...
प्रेम के फूल खिलाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी अनमोल है, मेरा जो भी रोल है
हँसते हुए निभाऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी पहचान है, सब उसकी सन्तान हैं
बात यही दोहराऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
देखूँगा,दिखलाऊंगा ....गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी असहाय है, व्यय अधिक कम आय है
फिर भी काम चलाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी इक कीर है, सुख व दु:ख ज़ंजीर है
तोड़ इसे उड़ जाऊँगा...गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी अभिषेक है, मन्दिर- मस्जिद एक हैं
सब पर शीश झुकाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी शृंगार है, दोस्ती है ..प्यार है ...
प्रेम के फूल खिलाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी अनमोल है, मेरा जो भी रोल है
हँसते हुए निभाऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी पहचान है, सब उसकी सन्तान हैं
बात यही दोहराऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
6 comments:
सुन्दर कहा आपने ..
ज़िन्दगी अनमोल है, मेरा जो भी रोल है
हँसते हुए निभाऊंगा , गीत ख़ुशी के गाऊंगा
ज़िन्दगी को एक नए नज़रिए से देखती आपकी ये रचना बहुत खूबसूरत है...वाह.
नीरज
अलबेला जी,
मेरा पहली बार आना हुआ है आपके ब्लॉग पर, रोचक लगा, और आप जैसी हस्ती से मेल-मुलाकात जारी कर पाने का सौभाग्य मिला।
बहुत खूब लिखा है " ज़िन्दगी अभिषेक है, मन्दिर- मस्जिद एक हैं
सब पर शीश झुकाऊंगा,गीत ख़ुशी के गाऊंगा "
यदि यह भावना हम सब में घर कर जाये तो देश खुशहाल हो जाये ये रोज रोज के जातीय मतभेदों से ऊपर उठ हम सब मिलजुल कर ऐसा कुछ कर दिखायें की जमाना देखता रह जाये।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
जिन्दगी का यह फलसफा
याद कर ले हर कोई ,तो
ना होगा कोई दुखी
हर तरफ होगी बस खुशी ही खुशी
ज़िन्दगी भले ही उदास हो, गम कितने ही पास हो
हरदम बस मुस्कुराउँगी, गीत खुशी के गाऊँगी
bahut achhi rachna hai
Bahut badiya laga sir! aapka ye andaaz...positivity towards life.
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