तुम भी लापरवाह हो गए ,मैं भी मस्त मलंग हो गया
सत्ता में आते ही देखो हर इक बुड्ढा यंग हो गया
शब्द-कोष तक सीमित रह गए शर्म- लाज के अक्षर
यह देखो कुर्सी मिलते ही नेता नंग -धड़ंग हो गया
सत्ता में आते ही देखो हर इक बुड्ढा यंग हो गया
शब्द-कोष तक सीमित रह गए शर्म- लाज के अक्षर
यह देखो कुर्सी मिलते ही नेता नंग -धड़ंग हो गया
4 comments:
Sahi kaha....
Sateek vyangy...
सटीक व्यंग्य....बधाई
wah bhai wah...
वाह वाह वाह !!!!
आपकी अभिव्यक्ति देख हम दंग हो गए हैं
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